पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खास हाथरस संसदीय सीट पर पिछले दो दशक से यहां पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का वर्चस्व रहा है और यह मुस्लिम-जाट वोटर बाहुल्य क्षेत्र है. बीजेपी की कोशिश इस सीट पर अपनी पकड़ बनाए रखने की है तो राज्य में नए समीकरण के बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन के बाद सपा अपना उम्मीदवार यहां से उतार रही है. 2014 में बीजेपी के राजेश कुमार दिवाकर को बड़ी जीत मिली थी. उन्होंने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार को 3 लाख से ज्यादा मतों के अंतर से हराया था.
हाथरस लोकसभा सीट (सुरक्षित) पर दूसरे चरण में मतदान होना है और यहां पर 18 अप्रैल को वोटिंग होनी है. यहां के चुनावी समर में बीजेपी के राजवीर दिलेर हैं जिनके सामने समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन, कांग्रेस के त्रिलोकी राम, राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के भूपेंदर कुमार और लोकदल के राजाराम हैं. इसके अलावा 3 निर्दलीय प्रत्याशी तिलक सिंह, दिनेश साय और हरस्वरूप भी मैदान में हैं.
90 के बाद बीजेपी की धूम
हाथरस संसदीय सीट पर 1962 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस पार्टी ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी. उसके बाद 1967, 1971 में भी यहां कांग्रेस का परचम लहराया. 1977 में चली सत्ता विरोधी लहर में भारतीय लोक दल ने जीत दर्ज की, जबकि 1984 में भी यहां कांग्रेस ने वापसी की. 1989 में हुआ चुनाव यहां जनता दल के खाते में गया था.
रामलहर के बाद बीजेपी का गढ़
90 के दशक में रामलहर के दौर में 1991 के बाद से ही यह सीट भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रही है. 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में यहां बीजेपी ने जीत दर्ज की. इस दौरान बीजेपी के कृष्ण लाल दिलेर 1996-2004 तक सांसद रहे. 2009 में यहां राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की, हालांकि तब रालोद-बीजेपी का गठबंधन था. वहीं 2014 में तो बीजेपी के राजेश कुमार दिवाकर ने यहां से प्रचंड जीत दर्ज की.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण लोकसभा सीटों में से एक हाथरस मुस्लिम-जाट वोटरों के प्रभाव वाली सीट है. यही कारण रहा कि बीजेपी-आरएलडी को यहां लगातार जीत मिलती रही. पिछले चुनावी आंकड़ों के अनुसार, यहां पर करीब 17 लाख से अधिक मतदाता हैं, इनमें से करीब 9.6 लाख पुरुष वोटर और 7.8 लाख महिला मतदाता हैं.
हाथरस लोकसभा सीट के अंतर्गत 5 विधानसभा छर्रा, इगलास, हाथरस, सादाबाद और सिकंदरा राऊ सीटें आती हैं. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में सिर्फ सादाबाद में बसपा ने जीत दर्ज की थी, जबकि बाकी अन्य 4 सीटों पर बीजेपी ने झंडा लहराया था.
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