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सपा महासचिव बनने के बाद बोले अमर, नेताजी के दिल में रहने के लिए लड़ूंगा हर लड़ाई

सपा महासचिव बनने के बाद अमर सिंह ने 'आज तक' को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा कि रामगोपाल यादव उनके भाई जैसे हैं और उनसे कोई विवाद नहीं है.

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सपा महासचिव बने अमर सिंह
सपा महासचिव बने अमर सिंह

समाजवादी पार्टी के अंदर सुलह के फॉर्मूले के तहत अमर सिंह पर कार्यवाही की अटकलें तेज थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में आय से ज्यादा संपत्ति मामले में मुलायम को मिली राहत अमर सिंह के लिए वरदान साबित हो कर आई.

वैसे यादव परिवार के भीतर अखिलेश और रामगोपाल की जोड़ी लगातार अमर सिंह पर हमलावर रही, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आय से ज्यादा संपत्ति के मामले में फैसले के बाद मुलायम को अमर की और झुका दिया. जिसके बाद ही, मुलायम ने अमर प्रेम दर्शाते हुए अमर सिंह को अपनी लेखनी से समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त कर दिया.

इस पूरे घटनाक्रम के बाद 'आज तक' ने अमर सिंह से खास बातचीत की, पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

सवाल: आप पार्टी महासचिव बना दिए गए हैं, क्या ये अखिलेश और रामगोपाल को झटका है?
जवाब: रामगोपाल मेरे भाई जैसे हैं, उनसे विवाद का सवाल ही नहीं, अखिलेश समाजवादी पार्टी का भविष्य हैं. उनके हर फैसले के मैं साथ हूं, अखिलेश भी, सपा के मुखिया नेता जी का फैसला मानते हैं. इसलिए नेता जी का फैसला सर आंखों पर.

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सवाल: क्या आप हमारे सवालों के जवाब देंगे? क्या मीडिया को इंटरव्यू देंगे?
जवाब: देखिए, समाजवादी परिवार एकजुट है, नेताजी मुखिया हैं, उनका फैसला सब मानते हैं. उन्होंने फैसला किया है जिसके बाद मेरा कर्तव्य सिर्फ इतना है कि मैं नेताजी के दिल में रहने के लिए हर लड़ाई लड़ूं क्योंकी नेताजी ने कहा था कि अमर सिंह मेरे दिल में रहते हैं.

सवाल: समाजवादी पार्टी की भीतरी घमासान पर आपका क्या कहना है?
जवाब: हमारी पार्टी में नेताजी का फैसला आखिरी होता है, सर्वमान्य होता है और मैं तो समाजवादी हूं, मुलायमवादी हूं और मुलायम पुत्रवादी हूं. इसलिए नेताजी का फैसला सर आंखों पर.

सवाल: अमर सिंह जी दिल की बात जुबान पर कब लाएंगे?
जवाब: जो मेरे दिल में है, वो नेताजी से कह दिया. नेताजी ने फैसला कर लिया, अब मैंने तय किया है कि मैं चुप रहूंगा. ना मीडिया से बात करूंगा ना कोई इंटरव्यू दूंगा क्योंकि नेता जी ने कहा है की चुप्पी सोने जैसी होती है, तो मैं आज सोने को चांदी से ज्यादा पसंद कर रहा हूं. आखिर चांदी बहस का मुद्दा जो होती है.

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