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डॉ. कफील को सपा ने दिया MLC चुनाव का टिकट, गोरखपुर में बच्चों की मौत मामले में हुए थे सस्पेंड

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद अब विधान परिषद (UP MLC Election) के लिए सियासी घमासान होने जा रहा है. सूबे की 36 विधान परिषद (एमएलसी) सीटों के लिए मतदान 9 अप्रैल को होना है और नतीजे 12 अप्रैल को आएंगे.

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अखिलेश यादव के साथ डॉक्टर कफील खान.
अखिलेश यादव के साथ डॉक्टर कफील खान.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 36 विधान परिषद सीटों के लिए मतदान 9 अप्रैल को होना है
  • उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कुल 100 सदस्य हैं

गोरखपुर के चर्चित डॉक्टर कफील खान को विधान परिषद सदस्य के होने वाले चुनाव में समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी बनाया गया है. कफील को गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में हुई बच्चों की मौत के मामले में मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर निलंबित किया गया था. इसके अलावा सपा ने कौशाम्बी सीट से वासुदेव यादव को प्रत्याशी बनाया है. वासुदेव यादव बुधवार को नामांकन करेंगे. वासुदेव यादव सुबह 11 बजे सपा जिला कार्यालय जॉर्ज टाउन पहुंचेंगे. इसके बाद वासुदेव नामांकन के लिए कलेक्ट्रेट पहुंचेंगे.

बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद अब विधान परिषद (UP MLC Election) के लिए सियासी घमासान होने जा रहा है. सूबे की 36 विधान परिषद (एमएलसी) सीटों के लिए मतदान 9 अप्रैल को होना है और नतीजे 12 अप्रैल को आएंगे.

सपा के पास फिलहाल बहुमत

उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कुल 100 सदस्य हैं, जिनमें बहुमत के लिए 51 का आंकड़ा चाहिए. उत्तर प्रदेश के विधान परिषद में सपा को बहुमत है. उच्च सदन में सपा की 48 सीटें हैं, जबकि बीजेपी के पास 36 सदस्य हैं. हालांकि, विधानसभा चुनाव के दौरान सपा के 8 एमएलसी बीजेपी में चले गए थे. वहीं, बसपा के एक एमएलसी भी बीजेपी में आ गए हैं.  

विधान परिषद चुनाव के पहले चरण में 30 और दूसरे चरण में छह सीटों पर चुनाव है. पहले चरण का नामांकन 15 मार्च से शुरू होकर 19 मार्च तक चलेगा. 21 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच होगी जबकि 23 मार्च तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे. वहीं, दूसरे चरण में छह सीटों के लिए नामांकन 15 मार्च से शुरू होंगे और 22 मार्च नामांकन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि है. 23 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच होगी. 25 मार्च को नामांकन पत्र वापस लिए जाएंगे. दोनों ही चरणों के लिए नौ अप्रैल को मतदान होगा जबकि 12 अप्रैल को नतीजे आएंगे.  

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बता दें कि विधान परिषद की 36 सीटों पर चुनाव के बाद यह पहला मौका होगा जब बीजेपी को विधानसभा के उच्च सदन में बहुमत मिल सकता है. सौ सीटों वाली विधान परिषद में स्थानीय निकाय क्षेत्रों की 36 सीटों पर 2016 के चुनाव में सपा की 31 सीटें जीती थीं जबकि दो सीटों पर बसपा को जीत मिली थी. रायबरेली से कांग्रेस के दिनेश प्रताप सिंह जीते थे तो बनारस से बृजेश कुमार सिंह और गाजीपुर से विशाल सिंह 'चंचल' निर्दलीय चुने गए थे. हालांकि, दिनेश प्रताप सिंह बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे.  

यूपी में विधान परिषद का प्रारूप 

विधान परिषद में 6 साल के लिए सदस्य चुने जाते हैं. यूपी में परिषद की कुल 100 सीटें हैं. सूबे में एलएलसी चुनाव पांच अलग-अलग तरीके से चुनकर पहुंचते हैं. 100 में से 36 सीट स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि के द्वारा चुनी जाती हैं. इसके अलावा  कुल 100 सीटों में से 1/12 यानी 8-8 सीटें शिक्षक और स्नातक क्षेत्र के लिए आरक्षित हैं. 10 विधान परिषद सदस्य को राज्यपाल मनोनीत करते हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं. बाकी बची 38 सीटों पर विधानसभा के विधायक वोट करते हैं और विधान परिषद के विधायक चुनते हैं. 

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