नेपाल की राजधानी काठमांडू और घाटों के शहर वाराणसी के बीच सीधी बस सेवा गुरुवार से शुरू करने की योजना है. इस बस सेवा के शुरू होने से हिंदुओं के दो धार्मिक नगर जुड़ जाएंगे. काठमांडू और नई दिल्ली को जोड़ने वाली सेवा के बाद नेपाल और भारत के बीच यह दूसरी सीधी बस सेवा है.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 नवंबर को 18वें सार्क शिखर सम्मेलन के लिए काठमांडू की अपनी यात्रा के दौरान काठमांडू-दिल्ली सीधी बस सेवा को अपने नेपाली समकक्ष सुशील कोईराला के साथ हरी झंडी दिखाई थी.
आधिकारियों ने कहा कि काठमांडू और वाराणसी के बीच अभी तक सीधी बस सेवा, रेल या विमान सेवा नहीं थी और इस नई बस सेवा से एक दिन के आसपास का समय दोनों तरफ के धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान देगा.
काठमांडू भगवान पशुपतिनाथ का घर है, तो वाराणसी में काशी विश्वनाथ का मंदिर अवस्थित है. भौतिक योजना और बुनियादी ढांचा मंत्रालय के सचिव तुलसी प्रसाद सितौला ने कहा, 'सीधी बस सेवा के लिए हमने सभी आवश्यक तैयारी कर ली है.'
उन्होंने कहा, 'भौतिक बुनियादी ढांचा और परिवहन मंत्री बिमलेंद्र निधि, भारतीय सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय में संयुक्त सचिव संजय बंदोपाध्याय, नेपाल में भारत के राजदूत रणजीत राय और उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ परिवहन अधिकारी गुरुवार की सुबह काठमांडू के दशरथ स्टेडियम में संयुक्त रूप से बस सेवा को हरी झंडी दिखाएंगे.'
इसी तरह भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज वाराणसी में बस सेवा को हरी झंडी दिखाएंगी. इसके बाद पटना और काठमांडू को जोड़ने के लिए नेपाल और भारत तीसरी बस सेवा शुरू करेंगे. सितौला ने कहा, 'जब हम सेवा शुरू कर देंगे, तो दोनों तरफ के लोग महान धार्मिक शहरों की आसानी से यात्रा कर सकेंगे.'
नेपाली अधिकारियों ने कहा कि काठमांडू और वाराणसी के बीच की दूरी 550 किलोमीटर है और इसके एक तरफ का किराया 1200 रुपये तय किया गया है. बस सेवा काठमांडू-भैरहवा-सुनौली-बेलहिया-गोरखपुर-वाराणसी मार्ग पर चलेगी. दोनों तरफ से रोजाना 35 सीटों वाली वातानुकूलित बसें चला करेंगी.