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इलाहाबाद जिला अदालत का फैसला, प्रेम में बनाया गया शारीरिक संबंध रेप नहीं

शादी का झांसा देकर बलात्कार किए जाने की ढेरों खबरों के बीच इलाहाबाद की अदालत ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. जिला अदालत ने कहा है कि प्रेम में बनाए गए शारीरिक संबध को रेप नहीं माना जा सकता, अगर महिला बालिग है और विवाह से पहले बनाए जाने वाले शारीरिक संबंध के खतरों से वाकिफ है.

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शादी का झांसा देकर बलात्कार किए जाने की ढेरों खबरों के बीच इलाहाबाद की अदालत ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. जिला अदालत ने कहा है कि प्रेम में बनाए गए शारीरिक संबध को रेप नहीं माना जा सकता, अगर महिला बालिग है और विवाह से पहले बनाए जाने वाले शारीरिक संबंध के खतरों से वाकिफ है.

यह फैसला शादी का झांसा देकर लंबे समय तक संबंध बनाने और बाद में इनकार कर देने के आरोपी योगेश का मामला सुनते हुए अदालत ने दिया. अपर जिला एवं सत्र नयायाधीश वकार अहमद अंसारी ने आरोपी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए योगेश को आरोपमुक्त कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि प्रेमी जोड़े भावनाओं में बह कर सबंध बना लेते हैं जबकि किसी भी मजहब में इसकी अनुमति नहीं है. बाद में महिला इसे बलात्कार बताए इसे सही नहीं माना जा सकता.

योगेश पर 18 अगस्त 2012 को इलाहाबाद के सराय इनायत थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की. अदालत ने दिसंबर 2012 को आरोप तय कर मामले की सुनवाई शुरू की. फैसला योगेश के पक्ष में आया और उसे आरोपमुक्त कर दिया गया.

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