उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में वैक्सीन की किल्लत की बात सामने आई है. वैक्सीन की कमी पर विपक्षी पार्टियां सवाल खड़े कर रही हैं. वैक्सीनेशन के बीच टीकों की बर्बादी की खबरें भी सामने आई हैं, जिस पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य विभाग की भी पैनी नजर है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक ने गोंडा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी से को वैक्सीन वेस्टेज के खिलाफ प्रभावी और जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. सीएमओ डॉक्टर राधेश्याम केसरी ने बताया है कि मिशन निदेशक ने गोंडा में 18.4 फीसदी टीके की बार्बादी की बात की है. लॉस इससे कहीं ज्यादा कम है.
सीएमओ ने वैक्सीन की बर्बादी की बात भी खारिज कर दी है. उनका कहना है कि कहीं फीडिंग में दिक्कत सामने आई है, नहीं तो वैक्सीन की बर्बादी नहीं हो रही है. अब टीकों की बर्बादी रोकने के लिए सीएमओ ने रविवार को ट्रेनिंग देकर आगाह किया था कि जब तक 10 लाभार्थी इकट्ठे नहीं हो जाते, वैक्सीन को नहीं खोलना चाहिए.
वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन में मुश्किल!
सीएमओ के मुताबिक गोंडा में 18 से अधिक उम्र के 60 हजार से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है. कुल 3 लाख से ज्यादा लोगों को पहली डोज वैक्सीन की दी जा चुकी है. जबल डोज लेने वाले मरीजों की संख्या 49,334 है.
अगर गोंडा में 18.4 फीसदी वैक्सीन बर्बाद होता है तो यह प्रशासनिक लापरवाही ही कही जाएगी. कोरोना से जान बचाने वाली बहुमूल्य वैक्सीन का खराब होना, सिस्टम पर सवालिया निशान खड़े कर रहा है, जिसे बड़े लापरवाही के तौर पर देखा जा रहा है.
लोगों में बढ़ रही जागरुकता
गोंडा के सीएमओ ने कहा कि अब लोगों में वैक्सीन को लेकर जागरूकता बढ़ रही है. 18 साल से ज्यादा उम्र के 60,107 लोगों को वैक्सीन लग चुकी है. जिले में कुल वैक्सीनेशन 3,80,000 लोगों का हो चुका है. 18.4 फीसदी वैक्सीन की बर्बादी टेक्निकल वजहों से नजर आ रही है, असली में वैक्सीन वेस्टेज बेहद कम है.