अंबेडकर जयंती के मौके पर जहां मुख्यमांत्री योगी आदित्यनाथ ने कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया वहीं अपने भाषणों में यह भी स्पष्ट कर दिया कि उनकी सरकार के लिए दलितों का कल्याण केंद्र में है. प्रदेश की 21 प्रतिशत आबादी को लुभाने के लिए योगी सरकार ने नई-नई योजनाएं तैयार की हैं.
सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह ऐलान कर दिया कि अगली बार आंबेडकर की जयंती पर स्कूलों में छुट्टी नहीं होगी क्योंकि बच्चों को यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर बाबासाहब अंबेडकर ने कितने बलिदान दिए. यही नहीं अंबेडकर के साथ-साथ बाकी सभी महापुरुषों की जयंती के दिन स्कूलों में छुट्टियां अब नहीं होंगी. यानि अब गांधी जयंती, महावीर जयंती, बुद्ध जयंती इन तमाम महत्वपूर्ण दिनों पर अब स्कूलों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. बच्चों को महापुरुषों के बारे में बताया जाएगा. बाबा साहब अंबेडकर की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए योगी जी ने यह साफ कर दिया कि प्रदेश में दलितों के साथ भेदभाव और उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
योगी सरकार शुरुआत से ही खुद को गरीबों और दलितों की सरकार बताती रही है 'सबका साथ सबका विकास' के एजेंडे को दोहराते हुए योगी आदित्यनाथ में अपने सहयोगियों को भी दलित के उत्थान के लिए योजनाए तैयार करने के आदेश दिए हैं. पहले ही समाज कल्याण विभाग कुछ अहम योजनाएं पर काम कर रहा है जिनमें दलित और अति पिछड़े वर्गों को लाभ मिले.
अंबेडकर जयंती पर समरसता भोज का आयोजन बीजेपी सरकार ने अंबेडकर जयंती के उपलक्ष्य पर जगह-जगह समरसता भोज का आयोजन किया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों को निर्देश दिया कि वह अपने क्षेत्र में जाकर समरसता भोज रखें और दलित समुदाय के साथ मिलजुलकर एक साथ भोजन ग्रहण करें. इस आयोजन के पीछे बीजेपी सरकार यह संदेश देना चाहती है कि वह दलितों की समानता के हक में हर कदम उठाने के लिए तैयार है और उनके साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ है.
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना
योजना के तहत सरकार सामूहिक विवाह कराएगी. पहले ही राज्य सरकार की एक स्कीम गरीब लड़कियों को विवाह हेतु 20000 की रकम देती है. लेकिन इस नई स्कीम के तहत सरकार सामूहिक विवाह कराएगी जिसके केंद्र में होंगी गरीब और दलित वर्ग की लड़कियां.
- इसके अलावा दलित कॉलोनी में बाबा साहब अंबेडकर कम्युनिटी सेंटर बनाने की भी योजना है.
- अंबेडकर जयंती के दिन समरसता भोज का भी आयोजन किया गया है. इस भोज के जरिए भेदभाव और जातिवाद की मानसिकता को बदलने और समरसता का संदेश देने की कोशिश की गई है.
उत्तर प्रदेश में दलितों को लेकर हमेशा वोट बैंक पॉलिटिक्स होती चली आई है. दलितों के दम पर बीएसपी बार-बार सत्ता पर काबिज हुई. मगर 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा की खराब परफॉर्मेंस के पीछे दलितों का छिटकना एक बड़ी वजह है. जाहिर है बीजेपी की नजर 2019 के चुनाव पर है और ऐसे में वह दलित समुदाय को लुभाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाने को तैयार है.