scorecardresearch
 

नोएडा की इन दो झुकी इमारतों को गिराने का दिया आदेश

दरअसल, ग्रेटर नोएडा के पॉश सेक्टर बीटा-2 में नई बिल्डिंग बनाने के लिए गहरी खुदाई की गई और उसमें जमे पानी की वजह से पास की 13 मंजिला बिल्डिंग पर खतरा मंडराने लगा है. बिल्डिंग की दीवार में दरार आ गई हैं. 13 मंजिला बिल्डिंग को सात दिन में गिराने का निर्देश दिया गया है.

Advertisement
X
फाइल फोटो
फाइल फोटो

बारिश के चलते इमारतों के गिरने की घटनाएं लगातार जारी हैं. इस बीच प्रशासन ने ग्रेटर नोएडा में झुकी दो इमारतों को गिराने का निर्देश जारी किया गया है.

दरअसल, ग्रेटर नोएडा के पॉश सेक्टर बीटा-2 में नई बिल्डिंग बनाने के लिए गहरी खुदाई की गई और उसमें जमे पानी की वजह से पास की 13 मंजिला बिल्डिंग पर खतरा मंडराने लगा है. बिल्डिंग की दीवार में दरार आ गई हैं. 13 मंजिला बिल्डिंग को सात दिन में गिराने का निर्देश दिया गया है.

बारिश के पानी और बिल्डर की मनमानी से 180 परिवारों की जिंदगी को खतरे में डाल दिया है. ग्रेटर नोएडा के सेक्टर बीटा-2 की स्पार्क डिवाइन में रहनेवाले लोगों की नींद सोसाइटी के ठीक बगल में खोदे गए 25 फीट गहरे गड्ढे के कारण गायब हो गई है. ऐसे में यहां के 20 परिवार अपना फ्लैट खाली कर सुरक्षित जगहों पर चले गए हैं. बता दें कि गड्ढे से ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी का दफ्तर महज 500 मीटर की दूरी पर है. थाना और भी पास है, लेकिन पहले किसी ने भी इस बड़े खतरे और खुदाई की ओर ध्यान नहीं दिया.

Advertisement

हालांकि, लोगों के विरोध के बाद ग्रेटर नोएडा प्रशासन एक्शन में आया है. पानी को निकालने के लिए पंप लाया गया. गड्ढे को भरने का काम भी शुरू हो गया. लेकिन, सवाल उठता है कि ग्रेटर नोएडा प्रशासन को ये गड्ढा और इससे पैदा होने वाला खतरा पहले क्यों नहीं दिखा.

बिल्डिंग झुकी, डर से लोगों ने खाली किया मकान

शाहबेरी इलाके में ही में एक और बिल्डिंग कभी भी गिर सकती है. बारिश के पानी की वजह से 7 मंजिला इमारत एक ओर झुक गयी है. इसके पिलर को लोहे के सहारे टिकाया गया है. प्रशासन ने खतरे को देखते हुए आसपास की इमारतों को खाली करवा दिया है.

खतरे को देखते हुए बिल्डिंग के फ्लैट में मौजूद लोगों ने अपना-अपना कमरा खाली कर दिया है. बता दें कि झुकी हुई इस बिल्डिंग में सिर्फ एक परिवार रहता था. उस बिल्डिंग को सबसे पहले खाली करवाया गया और उसे सील कर दिया गया. हादसे की स्थिति में तुरंत राहत और बचाव के लिए फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों को भी तैनात कर दिया गया है. आसपास की इमारतों को भी खाली करवा दिया गया है.

गौरतलब है कि 17 जुलाई को ही शाहबेरी में दो इमारतें ताश के पत्तों की तरह भरभराकर गिर गईं थीं. इनमें दबकर 9 लोगों की जान चली गयी. शाहबेरी में अवैध तरीके से बनाई गई इमारतें कभी भी लोगों की कब्र में तब्दील हो सकती हैं. पिछले कुछ सालों में शाहबेरी, खेड़ा और बिसरख जैसे इलाकों में अवैध तरीके से बिल्डिंग बनाने का काम तेजी से चल रहा है.

Advertisement

छोटे-छोटे बिल्डरों ने अथॉरिटी में बाबुओं के साथ मिलीभगत करके गलत तरीके से खतरनाक इमारतें खड़ी कर ली हैं. बिल्डरों ने इमारतों में भूकंपरोधी और प्राकृतिक आपदा से बचने की जरूरत को भी नजरअंदाज कर दिया. ऐसे में सवाल उठता है कि नियम-कायदों को ठेंगा दिखा कर बनी सैकड़ों छोटी-बडी इमारतें सरकारी अफसरों को पहले क्यों नहीं दिखीं? हादसे के बाद ही प्रशासन हरकत में क्यों आता है?

Advertisement
Advertisement