scorecardresearch
 

बेहमई हत्याकांड: नहीं मिली केस डायरी तो टला फैसला, अगली सुनवाई 24 जनवरी को

बेहमई हत्याकांड के 39 साल बीत जाने के बाद कानपुर की एक विशेष अदालत ने फैसला टाल दिया है, इस मामले में अब कोर्ट 24 जनवरी को अपना फैसला सुना सकती है.

Advertisement
X
39 साल बाद आ सकता है केस में फैसला
39 साल बाद आ सकता है केस में फैसला

  • वर्तमान में जिंदा हैं 7 अभियुक्त
  • जिंदा अभियुक्तों में से 3 हैं फरार

बेहमई हत्याकांड के 39 साल बीत जाने के बाद कानपुर की एक विशेष अदालत ने फैसला टाल दिया है, इस मामले में अब कोर्ट 24 जनवरी को अपना फैसला सुना सकती है.

विशेष जज सुधीर कुमार ने इस मामले की केस डायरी उपलब्ध न होने पर अदालत के कर्मचारियों के प्रति नाराजगी जाहिर की और केस डायरी को 24 जनवरी से पहले अदालत में पेश करने को कहा.

39 साल पहले फूलन देवी और उनके साथियों पर कानपुर देहात जिले के बेहमई गांव में 14 फरवरी 1981 को 20 लोगों की सामूहिक हत्या करने का आरोप है. फूलन ने वर्ष 1983 में मध्य प्रदेश पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक बेहमई हत्याकांड में फूलन समेत 35 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. उनमें से 8 आरोपी पुलिस से हुई अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए थे. मुख्य अभियुक्त फूलन की 25 जुलाई 2001 को नई दिल्ली में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. वर्तमान में कुल 7 अभियुक्त जिंदा हैं. उनमें से 3 फरार हैं.

Advertisement

मध्य प्रदेश की ग्वालियर और जबलपुर जेल में 11 साल बिताने के बाद वर्ष 1994 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने फूलन के खिलाफ मुकदमा वापस ले लिया और फिर उन्हें रिहा कर दिया गया.

वर्ष 1996 में फूलन समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर से संसद पहुंचीं और फिर 1999 में दोबारा सांसद चुनी गईं.

Advertisement
Advertisement