फतेहपुर सीकरी में स्विटजरलैंड पर्यटकों से छेड़छाड़ की घटना से सबक लेते हुए अब केंद्र सरकार आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (भारतीय पुरातत्व विभाग) यानी एएसआई के साथ मिलकर 'पोकेमॉन गो' की तरह जल्द ही एक मोबाइल ऐप लाएगी.
विदेशी पर्यटकों को जानकारी देने के साथ ही ये ऐप बदसलूकी रोकने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में कारगर हथियार साबित होगा. दरअसल, इस मोबाइल ऐप से न सिर्फ देशी-विदेशी पर्यटकों को पर्यटक स्थानों की सटीक जानकारी और मैप मिलेगा, बल्कि इससे विदेशी पर्यटकों की भी सटीक लोकेशन पुलिस ट्रैक कर सकेगी. साथ ही किसी भी मुसीबत की सूरत में पुलिस तुरंत उस पर्यटक की लोकेशन तक मदद के लिए पहुंच सकेगी.
सबसे पहले शुरुआत में पायलट बेसिस पर इस मोबाइल ऐप को आगरा में लांच किया जाएगा. मोबाइल ऐप तैयार करने की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व विभाग को दी गई है.
ताजनगरी आगरा में आने वाले विदेशी पर्यटकों के लिए अब ताजमहल घूमना महफूज होगा. अब पर्यटकों को अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं होगी. अब एक मोबाइल ऐप के जरिये विदेशी पर्यटकों की सुरक्षा से बेफिक्र होकर ताजमहल और आगरा घूमना-फिरना आसान होगा.
आगरा और आस-पास विदेशी पर्यटकों के साथ हाल में हुई बदसलूकी की घटनाओं और लपका कल्चर से निपटने के उपायों पर रास्ता निकालने के लिए दिल्ली में बैठक हुई. बैठक में केंद्रीय संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा, भारतीय पुरातत्व विभाग की डीजी ऊषा शर्मा और आगरा जोन के पुलिस आईजी राजा श्रीवास्तव समेत एएसआई अधिकारी मौजूद थे. बैठक में ये तय हुआ कि आगरा और आसपास के राष्ट्रीय स्मारकों की जानकारी के लिए एक मोबाइल ऐप तैयार किया जाएगा.
इस ऐप में कार्टून कैरेक्टर पोकेमॉन गो की तर्ज पर विदेशी पर्यटक ऐप के जरिए स्मारकों को ढूंढ़ कर देख सकेंगे. ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि आगरा और आस-पास 200 से ज्यादा दर्शनीय स्मारक हैं, पर जानकारी के अभाव में पर्यटक ताजमहल, आगरा फोर्ट समेत कुछ स्मारक ही घूमने जा पाते हैं. इस ऐप के जरिए पर्यटकों की सटीक लोकेशन पुलिस की रडार पर रहेगी. पुलिस विदेशी पर्यटकों की लोकेशन जीपीएस से मॉनिटर करती रहेगी और अगर कोई पर्यटक किसी मुसीबत में फंसता है या अपने रूट या स्मारक से दूर भटकता है तो पुलिस तुरंत उस तक पहुंच कर सुरक्षित कर सकेगी.
इस ऐप में गो और नो-गो एरिया की जानकारी भी होगी. अगर कोई विदेशी पर्यटक अपने रूट या स्मारक से दूर भटकता है तो उसको ऐप अलर्ट भी भेजेगा. ये मोबाइल ऐप तैयार करने की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व विभाग को सौंपी गई है. ऐप 6 महीने में तैयार कर लांच करने का टार्गेट रखा गया है. पायलट बेसिस पर इसे पहले आगरा और आस-पास के ASI स्मारकों के लिए शुरू किया जाएगा. उसके बाद मिले फीडबैक के आधार पर इसको पूरे देश में शुरू किया जाएगा.