इलाहाबाद हाई कोर्ट में सोमवार को मथुरा के जवाहर बाग मामले पर सुनवाई हुई. याचिका दिल्ली प्रदेश बीजेपी के एक नेता अश्विनी उपाध्याय की है जो पेशे से एक वकील भी हैं.
सुनवाई के दौरान अश्विनी ने कोर्ट में कहा की जवाहर बाग की घटना महज कानून व्यवस्था खराब होने का मामला नहीं है बल्कि ये एक सोचे समझे तरीके से बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने का मामला है.
उन्होंने ये भी कहा कि इसमें राजनेताओं और रामवृक्ष की आपराधिक मिलीभगत थी. अश्विनी ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के एक रिश्तेदार मंत्री और एक सांसद की इसमें सीधे तौर पर मिलीभगत है इसलिए इस मामले में प्रदेश सरकार निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती इसलिए इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए.
मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से 5 अहम सवाल किये-
1. जवाहर बाग जो कि एक पब्लिक पार्क है उसे धरना देने के लिये रामवृक्ष को क्यों दिया गया था?
2. पार्क को किन शर्तों पर दिया गया था और दो दिन बाद खाली क्यों नहीं कराया गया?
3. जनवरी 2014 से अबतक कौन-कौन डीएम और एसपी मथुरा में पोस्टेड थे? उन्होंने पार्क को खाली कराने के लिये क्या-क्या कार्यवाही की?
4. इस विषय में प्रमुख सचिव और गृह सचिव को मथुरा प्रशासन ने कितनी बार सूचित किया था और उन्होंने क्या कार्यवाही की?
5. रामवृक्ष के खिलाफ 1 जनवरी 2014 से अब तक कितनी शिकायत दर्ज हुई? कितनी एफआईआर दर्ज हुई? कितनी चार्जशीट फाइल हुई?
इन सभी सवालों के जवाब यूपी सरकार को अगली तारीख तक हाई कोर्ट को देने हैं. मामले की अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी.