गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में बच्चों की मौत का मामला अब अदालत में पहुंच गया है. इलाहाबाद उच्च न्यायलय इस मामले में दाखिल एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है कि आखिर बच्चों की मौत हुई कैसे?
इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार और चिकित्सा शिक्षा निदेशालय को 06 सप्ताह में विस्तृत जवाब देने के आदेश देते हुए 09 अक्टूबर 2017 को सुनवाई की अगली तिथि तय की है.
यह आदेश जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस दया शंकर तिवारी की बेंच ने नूतन और रज्य सरकार के महाधिवक्ता राघवेन्द्र प्रताप सिंह तथा चिकित्सा शिक्षा निदेशालय के अधिवक्ता संजय भसीन को सुनने के बाद दिया है.
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता श्री सिंह ने कहा कि राज्य सरकार इस मामले में सभी संभव कदम उठा रही है और मुख्य सचिव की रिपोर्ट आने के बाद शेष सभी कार्यवाई की जाएगी. इस पर नूतन ने कहा कि राज्य सरकार के अब तक के कार्यों से ऐसा सन्देश गया है कि वे कुछ छिपाना चाहते हैं और कुछ लोगों का बचाव किया जा रहा है, जिससे लगता है कि मुख्य सचिव की जांच एक दिखावा ही होगी.
उन्होंने मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों द्वारा निजी प्रैक्टिस करने की समस्या को रखते हुए इन्हें भी सख्ती से रोके जाने की प्रार्थना की.
यहां यह बताते चलें कि गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में गोरखपुर ऑक्सीजन की कमी के कारण पांच दिनों में 63 बच्चों की मौत हो चुकी है.
इस मामले में हुई लापरवाही के संबंध में जिला अधिकारी जी जांच रिपोर्ट आ चुकी है जिसमें ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स और ऑक्सीजन यूनिट के इंचार्ज डॉक्टर सतीश को लापरवाही का जिम्मेदार ठहराया गया है.