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उत्तर प्रदेश

बाइक पर 2 बेटे बैठे, बीच में पिता के शव को भी रखा, UP की दर्दनाक फोटो VIRAL

नहीं मिली एंबुलेंस तो पिता का शव बाइक पर ले गए बेटे
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उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले से बेबसी की तस्वीर सामने आई है. यह बेबसी अपने पिता के शव को घर ले जाने की थी. लाख कोशिशों के बाद जब दो बेटों को एंबुलेंस नहीं मिली तो बाइक का ही सहारा बना. शव को बीच में रखकर दोनों बेटे अपने घर गए. खास बात है कि बेटों ने अपनी पिता की मौत के लिए डॉक्टर की लापरवाही को भी जिम्मेदार ठहराया है.

नहीं मिली एंबुलेंस तो पिता का शव बाइक पर ले गए बेटे
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दरअसल, लखीमपुर खीरी जिले में ईसानगर थाना क्षेत्र के खमरिया सीएचसी से एक इंसानियत को शर्मसार और हैरान कर देने वाली तस्वीर सामने आई है. सोशल मीडिया में वायरल हो रही तस्वीर में साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि कैसे दो जवान बेटे अपने बुजुर्ग पिता के शव को बाइक पर बीच में रखकर अपने घर ले जा रहे हैं.

नहीं मिली एंबुलेंस तो पिता का शव बाइक पर ले गए बेटे
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बताया जा रहा है कि खमरिया के ही एक गांव के रहने वाले 78 वर्षीय बुजुर्ग कि तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो उनके दोनों बेटों ने पहले 108 एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन जब काफी देर इंतजार करने के बाद एंबुलेंस नहीं पहुंची तो दोनों बेटे अपने बुजुर्ग पिता को बाइक में बिठाकर खमरिया सीएचसी इलाज के लिए ले गए.

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लखीमपुर खीरी
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बेटों का आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही के चलते देरी से शुरू हुए इलाज से बुजुर्ग पिता की अस्पताल में मौत हो गई. अस्पताल में हुई पिता की मौत पर दोनों बेटों ने अपने पिता के शव को घर ले जाने के लिए एंबुलेंस को फोन किया लेकिन एक बार फिर एंबुलेंस नहीं मिली.

लखीमपुर खीरी
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इसके बाद दोनों बेटे अपने बुजुर्ग पिता के शव को बाइक पर बीच में ही रख कर अपने घर ले गए. जब दोनों बेटे अपने बुजुर्ग पिता के शव को बाइक में रख रहे थे तो सीएचसी परिसर में मजमा लग गया. हर कोई फोटो खींचने लगा.

लखीमपुर
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आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में पिछले कई दिनों से एंबुलेंस कर्मचारी हड़ताल पर हैं. इसका खामियाजा मरीजों और उनकी तीमारदारों को उठाना पड़ रहा है. यूपी के सभी जिलों में पांच हज़ार से ज़्यादा एंबुलेंस में खड़ी हैं, मरीज़ इधर-उधर भटक रहे हैं और सरकार दूसरे विकल्पों पर विचार कर रही है.

एंबुलेंस
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उत्तर प्रदेश में तीन तरह की एंबुलेंस सेवाएं संचालित होती हैं. पहला- 108 नंबर, दूसरा- 102 नंबर और तीसरा- एडवांस्ड लाइफ़ सपोर्ट सिस्टम यानी एएलएस. ये सभी सेवाएं निजी हाथों में हैं.

(सांकेतिक तस्वीर)

एंबुलेंस
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एएलएस एंबुलेंस सेवा देने वाली पुरानी कंपनी का टेंडर ख़त्म होने के बाद सरकार ने नई कंपनी को टेंडर दिया है और कर्मचारियों का आरोप है कि नई कंपनी उन्हें नौकरी से निकालकर नए सिरे से भर्ती कर रही है. सरकार ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए हड़ताल कर रहे कर्मचारियों की बर्ख़ास्तगी की प्रक्रिया शुरू करने को कहा है.

(सांकेतिक तस्वीर)

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