scorecardresearch
 

स्टालिन से मिले BJP के 'बागी' शत्रुघ्न-यशवंत, थर्ड फ्रंट की कवायद और तेज!

बीजेपी छोड़ने के बाद यशवंत सिन्हा ने किसी भी दल में शामिल न होने की बात जरूर कही थी. लेकिन बीजेपी को रोकने के लिए तीसरे मोर्चे के गठन में उनकी भूमिका अहम हो सकती है.

Advertisement
X
स्टालिन से मिलते शत्रुघ्न
स्टालिन से मिलते शत्रुघ्न

2019 के लिए तीसरे मोर्चे की घेराबंदी और तेज होती जा रही है. इसी सिलसिले में शुक्रवार को बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन से चेन्नई में मुलाकात की. इससे पहले भी ये दोनों नेता अन्य दलों के नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं.

इस दौरान दोनों नेताओं ने डीएमके अध्यक्ष और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि से भी मुलाकात की. बातचीत की फोटो ट्वीट करते हुए स्टालिन ने लिखा, 'मौजूदा राजनीतिक माहौल में इन दोनों नेताओं से सकारात्मक मुलाकात हुई, शुक्रगुजार हूं इनका क्योंकि दोनों नेताओं को करुणानिधि की सेहत के बारे में पता किया.'

पिछले दिनों शत्रुघ्न सिन्हा और यशवंत सिन्हा ने टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी से भी मुलाकात थी. शत्रुघ्न सिन्हा जहां बीजेपी में अपने बगावती सुर के लिए जाने जाते हैं, वहीं यशवंत सिन्हा बीती 21 अप्रैल को बीजेपी छोड़ चुके हैं. स्टालिन से कुछ दिनों पहले टीआरएस प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखऱ राव ने भी मुलाकात की थी.

Advertisement

बीजेपी पर हमला करने के दौरान कई बार यशवंत सिन्हा गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी दलों को बाहर से समर्थन करने की बात करते आए हैं. हालांकि पार्टी से छोड़ने के बाद उन्होंने किसी भी दल में शामिल न होने की बात जरूर कही थी. लेकिन बीजेपी को रोकने के लिए तीसरे मोर्चे के गठन में उनकी भूमिका अहम हो सकती है.

शत्रुघ्न सिन्हा का रुख भी बीजेपी के लिए हमलावर ही रहा है. पिछलों दिनों शत्रुघ्न अरविंद केजरीवाल से लेकर तेजस्वी यादव तक की तारीफ भी कर चुके हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि एक-दूसरे के  विरोधी रहे दलों को साथ लाने में यह दोनों नेता एक पुल का काम कर सकते हैं.

ममता बनर्जी से लेकर के चंद्रशेखर भी तीसरे मोर्च के हिमायती रहे हैं. चंद्रशेखर राव पिछले दिनों यूपी के पूर्व सीएम और सपा के मुखिया अखिलेश यादव से भी मिल चुके हैं. वहीं अखिलेश और ममता की मुलाकात को भी ज्यादा दिन नहीं गुजरे हैं. तमाम गैर बीजेपी और गैर कांग्रेसी नेताओं की बैठकें और मुलाकातें इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि आने वाले लोकसभा चुनाव में फेडरल फ्रंट या तीसरे मोर्च का विचार मूर्त रूप ले सकता है.

Advertisement
Advertisement