अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की 'नसीहत' पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सफाई दी है. बीजेपी ने मंगलवार को कहा कि यह कहना गलत होगा कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने धार्मिक सहिष्णुता और स्वतंत्रता की बात मोदी सरकार के संदर्भ में कही.
बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिंह राव ने कहा कि इस मुद्दे पर तो भारत विश्व को पाठ पढ़ाता रहा है. उन्होंने कहा कि धार्मिक सहिष्णुता और स्वतंत्रता न केवल संविधान, बल्कि यह इस देश की महान परंपरा का हिस्सा रहा है. हम इस पर तो हजारों साल से दुनिया को पाठ पढ़ाते आ रहे हैं.
उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि इसका सरकार से कुछ भी लेना-देना नहीं है. अगर कोई इसकी यह व्याख्या कर रहा है तो गलत व्याख्या कर रहा है. मेरा मानना है कि ऐसा करना गलत है. कांग्रेस ने ओबामा की धार्मिक स्वतंत्रता वाली टिप्पणी का इस्तेमाल करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और सवाल किया कि क्या वह उनकी बात सुनेंगे और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित संघ परिवार से धर्मांतरण को जायज ठहराना बंद करने के लिए कहेंगे.
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया, ओबामा हमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 की याद दिलाते हैं जो भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म का पालन करने और उसका प्रचार करने की इजाजत देता है.
धार्मिक आधार पर न बंटे भारत: ओबामा
गौरतलब है कि मंगलवार को सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में भाषण के दौरान ओबामा ने भारत में धार्मिक सद्भाव के मुद्दे पर संकेतों में नसीहत दी थी.उन्होंने कहा कि भारत अगर धार्मिक आधार पर न बंटे, तो वह कामयाब होता रहेगा. भारत और अमेरिका की विविधता का जिक्र करते हुए उन्होंने यह बात कही. उन्होंने कहा, 'भारत और अमेरिका में हिंदू, मुसलमान, ईसाई, सिख, यहूदी, बौद्ध और जैन रहते हैं. हर व्यक्ति बिना किसी उत्पीड़न, डर या भेदभाव के अपनी आस्था का अभ्यास करने के लिए स्वतंत्र है. भारत सफल होता रहेगा, जब तक वह धार्मिक श्रद्धा के आधार पर न बंटे.'