दुनिया की सबसे पुरानी रेलगाड़ी फिर से चलने को तैयार है. यह है दार्जिलिंग हिमालयन रेलवेज की टॉय ट्रेन जो सिलिगुड़ी से दार्जिलिंग जाती है. यह ट्रेन 2011 में भूस्खलन के कारण चलनी बंद हो गई थी.
हिमालय की ऊंची-नीची पर्वत श्रृंखलाओं के बीच से गुजरती यह रेल प्रकृति का अद्भुत नजारा दिखाती है. इस पर सवारी करने के लिए दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं. इसके कुछ हिस्से में अभी भी भाप के इंजिन वाला इंजिन चलता है जबकि कुछ में डीजल. इसके मार्ग में घूम रेलवे स्टेशन भी आता है जो भारत का सबसे ऊंचा रेलवे स्टेशन है. इसे यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा दिया है.
इसकी शुरुआत 1881 में बंगाल के ले. गवर्नर सर ऐशली इडन ने की थी.
87 किलमीटर का यह मार्ग भूस्खलन के कारण कई जगह से अवरुद्ध हो गया था. इसे रेलवे, बंगाल पीडब्लूडी और एनएचआई ने मिलकर फिर से सुधारा है. अब महानंदी और घायबाड़ी के बीच रिपेयरिंग का काम बाकी रह गया है. इसे दिसंबर में पूरा कर दिया जाएगा और फिर दुनिया की सबसे पुरानी रेलगाड़ी टॉय ट्रेन दौड़ने लगेगी.