कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने महिला आरक्षण बिल को संसद के इसी सत्र में पास करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को लेटर लिखा. 16 जुलाई को उन्होंने लेटर लिख कहा कि बिल को पास कराने के लिए वह सरकार के साथ हैं. दूसरी तरफ़ मोदी सरकार में क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी को उनके पत्र का जवाब पत्र लिखकर दिया हैं.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी पहले तीन तलाक बिल का समर्थन करें. प्रसाद ने कहा कि सिर्फ महिला आरक्षण बिल पर नहीं, दोनों राष्ट्रीय पार्टियों को तीन तलाक, हलाला और ओबीसी कमीश्न बिल पर भी साथ आना चाहिए और नई मिसाल पेश करना चाहिए.
दरअसल पीएम मोदी और क़ानून मंत्री ये बात अच्छी तरह से जानते हैं कि तीन तलाक, हलाला, निकाह जैसे मुद्दों पर कांग्रेस अंदर से पूरी तरह से बंटी हुई है. इसका फ़ायदा उठाते हुए मोदी सरकार ने एक बार फिर से गेंद कांग्रेस के पाले में डाल दी है.
रविशंकर प्रसाद के पत्र का जवाब देते हुए कांग्रेस सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि 2014 में बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में महिला आरक्षण बिल रखा था. अब सरकार महिला आरक्षण बिल पर अपना रूख साफ़ करे और संसद के इसी सत्र में पास करे.
क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी पर चुटकी लेते हुए लिखा कि हम महिला आरक्षण बिल पर आपकी पहल की तारिफ़ करते हैं. लेकिन सरकार ये ज़रूर जानना चाहती है कि आप तो बिल का समर्थन करेंगे लेकिन आपके सहयोगी सदन की कार्यवाही को बाधित तो नहीं करेंगे. रविशंकर प्रसाद का प्रश्न जायज़ है. क्योंकि 2010 में राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल की कॉपी को फाड़ने वाले और हंगामा करने वाले सांसद और बिल का विरोध करने वाले दल आज यूपीए में कांग्रेस के सहयोगी दल हैं.
2010 में महिला आरक्षण बिल को राज्यसभा में पास कराने के लिए बिल का विरोध करने वाले सांसदो को सदन से निकालने के लिए पहली बार मार्शल का प्रयोग किया गया था. तब बीजेपी ने राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पर यूपीए सरकार का समर्थन कर बिल को सदन में पास कराया था.
लोकसभा में बीजेपी-कांग्रेस का विरोध
तत्कालीन कांग्रेस सांसद संदीप दीक्षित और अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी सांसदो ने लोकसभा में बिल का विरोध किया था. बीजेपी से तब लोकसभा में पार्टी के उपनेता गोपीनाथ मूडे और पार्टी के चीफ़ व्हिप रमेश बैस ने महिला आरक्षण बिल का विरोध खुलेआम तौर पर कर पार्टी नेतृत्व को मुसीबत में डाल दिया था.
महिलाओं के मुद्दे पर सियासत का रूख भांपते हुए राहुल गांधी ने एक फिर से महिला आरक्षण का मुद्दा गरमा कर राजनैतिक फ़ायदा उठाने की कोशिश है. लेकिन मोदी सरकार ने महिला आरक्षण को तीन तलाक, हलाला, निकाह जैसे मुद्दों से जोड़कर राहुल गांधी की कोशिश पर पलीता लगा दिया है.