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पहले टुंडा, अब यासीन भटकल लेकिन दाऊद इब्राहिम कब?

20 साल का एक ऐसा बहुरुपिया जिसने बाप से बगावत करके बारूद से दोस्ती की और ऐसी की न बच्चों को देखा, न बुजुर्गों को, न औरतों को और न नौजवानों को. मौत उसके जीवन का मकसद था और कोहराम जीने का तरीका.

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क्‍या अब पकड़ा जाएगा दाऊद इब्राहिम?
क्‍या अब पकड़ा जाएगा दाऊद इब्राहिम?

20 साल का एक ऐसा बहुरुपिया जिसने बाप से बगावत करके बारूद से दोस्ती की और ऐसी की कि न बच्चों को देखा, न बुजुर्गों को, न औरतों को और न नौजवानों को. मौत उसके जीवन का मकसद था और कोहराम जीने का तरीका. जिस रियाज भटकल को 12 राज्यों की पुलिस 6 साल से ढूंढ रही थी, उसे एनआईए ने दबोच लिया. सवाल है कि अगर हम अब्दुल करीम टुंडा को पकड़ सकते हैं, यासीन भटकल को पकड़ सकते हैं तो दाऊद इब्राहिम को क्यों नहीं.

अहमद सिद्दी बप्पा जरार उर्फ शाहरुख उर्फ यासीन अहमद भटकल उर्फ इमरान. भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने दशहत की दुनिया के सबसे खतरनाक दानव को दबोचकर अपने पड़ोसी के मुंह पर ऐसा तमाचा मारा है कि कराची के यूसुफ प्लाजा में सन्नाटा छा गया है.

रक्सौल से लगी नेपाल की सीमा से एनआईए की टीम ने एक ख‍ुफिया मिशन के तहत जब यासीन भटकल की कलाई मरोड़ी तो आतंकवाद के ख़िलाफ लड़ाई एक बड़ी क़ामयाबी का जश्न मना रही थी.

भटकल की गिरफ्तारी सुरक्षा एजेंसियों के लिए कितनी बड़ी कामयाबी है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने इसकी जानकारी तुरंत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दी. 25 लाख रुपये के इनामी आतंकवादी की गिरफ्तारी भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए ये एक ऐसी कामयाबी है जो इससे पहले कभी नहीं मिली.

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ये सच है कि इंडियान मुजाहिदीन की बुनियाद रखने वाले की बुनियाद हिलाकर भारत ने आतंकवाद की कमर पर मजबूत चोट की है लेकिन इससे बड़ा सवाल ये है कि दाऊद इब्राहिम जैसा आतंकवादी भी क्या कभी हमारी पकड़ में आएगा.

दाऊद आतंकवाद की दुनिया का ऐसा दर्द है जो अभी तक हमारे रडार से अदृश्य रहा है. लेकिन जबतक वो पकड़ा नहीं जाता अमन के ख़िलाफ हमारी लड़ाई अंजाम की सोच भी नहीं सकती क्योंकि इस्लामाबाद के क्लिफटन में छिपे दाऊद ने अपने सीने में पता नहीं कितने टुंडों, कितने भटकलों, कितने टाइगरों और शकीलों के राज छिपा रखे हैं.

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