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2015 में हुई कम बारिश के कारण झारखंड के लोहरदगा में वॉटर लेवल हुआ कम

पिछले साल हुईकमबारिश के कारण नए साल की शुरुआत में ही झारखंडकेलोहरदगामेंपानीकास्तरकमहोजाने के कारणजलापूर्तिव्यवस्थासंकटमेंफंसगईहै.

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झारखंड  में जलापूर्ति व्यवस्था संकट में
झारखंड में जलापूर्ति व्यवस्था संकट में

साल 2015 में हुई कम बारिश का खामियाजा साल 2016 में लोगों को भुगतना पड़ रहा है. झारखंड के लोहरदगा में जनवरी के शुरू में ही पानी का स्तर कम हो जाने के कारण जलापूर्ति व्यवस्था संकट में फंस गई है. साल के शुरू होते ही जलसंकट ने दस्तक दे दिया है.

कोयल और शंख नदी सूखने के कगार पर है. इन नदियों के संगम पर बने जलापूर्ति विभाग के इंटक वेल में सिर्फ तीन मीटर वाटर लेवल है. इसी से पूरे शहर को पानी मिलता है. जनवरी में वाटर लेवल कभी इतना कम नहीं हुआ. आनेवाले दिनों में अच्छी बारिश नहीं हुई तो मार्च से मानसून आने तक पूरा शहर बिन पानी तड़पेगा.

वाटर सप्लाई की कोई वैकल्पिक व्यवस्था लोहरदगा में नहीं है. ऐसे में विभाग के लोगों के हाथ पांव अभी से फूलने लगे हैं.वाटर सप्लाई मैनेजर कुमार संदीप का कहना है कि शहर में रोज पांच लाख गैलन पानी की सप्लाई होती है और यह भी कम पड़ता है. पानी की कमी के कारण शहर को टुकड़ों में बांटकर हर दूसरे दिन पानी देने की नौबत आ गई है. इस कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. फ़िलहाल पानी इतना कम हो चुका है कि पम्प घंटे भर भी नहीं चल सकता.

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पम्प ऑपरेटर महादेव उरांव ने आगे बताया कि तीन लाख की आबादी वाले शहर को चार-पांच महीने तक पानी पिलाना म्युनिसिपल बोर्ड के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. जब पानी ही नहीं तो पानी लाये कहां से. बोर्ड नदी में अस्थायी बांध बनाकर वाटर लेवल बढ़ाने के उपाय पर विचार कर रहा है जो शायद आखिरी उपाय हो.

लोहरदगा के म्युनिसिपल बोर्ड के चेयरमैन पावन एक्का का कहना है कि कम बरसात और नदियों से हो रहे खिलवाड़ का नतीजा जल संकट के रूप में सामने आया है. इसने खतरे की घंटी बजा दी है. आनेवाले समय में बिन पानी जिंदगी कैसे कटेगी. यह सोचने का नहीं कुछ करने का वक़्त आ गया है.

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