उत्तराखंड पर एक बार फिर बादल आफत बनकर बरस सकते हैं. मौसम विभाग के मुताबिक यहां तेज बारिश का दौर आज से शुरू होगा और 7 जुलाई तक चलेगा. 5 और 6 जुलाई को उत्तराखंड के लगभग सभी हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है. एक अनुमान के मुताबिक, कुछ इलाकों में 13 सेंटीमीटर तक बारिश हो सकती है.
एहतियातन एनडीआरएफ के 250 से ज्यादा जवानों को तैनात कर दिया गया है. छह टीमों (हर दल में 45 जवान) को देहरादून, पिथौरागढ़, चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में तैनात किया गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके.
निचले इलाके में बसे लोग घर छोड़कर ऊपर के इलाकों में जा रहे हैं. हालांकि प्रशासन और सेना अलर्ट है. भगीरथी नदी के किनारे बसे लोगों को हटाया जा रहा है.
खाद्यान्न की कमी नहीं
प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि प्रभावित इलाकों में खाद्यान्न की कमी नहीं है. बाढ़ प्रभावित इलाकों में गेहूं का स्टॉक 10043.3 मीट्रिक टन, चावल 12176.8 मीट्रिक टन और चीनी 837.3 मीट्रिक टन मौजूद है.
इसके अलावा 344.2 किलोलीटर मिट्टी का तेल और 48943 एलपीजी सिलेंडर जिला स्तर पर मौजूद हैं. राहत सामग्री से लदे 309 ट्रक भी प्रभावित जिलों में भेजे गए हैं.
प्रभावित इलाकों में 9.4 लाख लीटर डीजल और 4.76 लाख लीटर पेट्रोल उपलब्ध कराया गया है.
प्रदेश सरकार ने राहत अभियान के लिये 103 करोड़ रुपये जारी किए हैं. जिलाधिकारियों को राहत कार्यो के लिये धन खर्च करने में पूरी छूट दी गई है.
बहुगुणा की राहत अभियान तेज करने की अपील
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने अधिकारियों को राहत काम में तेजी लाने और आपदा पीड़ितों को नई दर पर मुआवजा देने का निर्देश दिया है.मुख्यमंत्री ने बताया कि जिन लोगों को पुराने दर पर मुआवजा दिया गया है, उन्हें दोबारा बुलाया जाए और नई दर पर राशि दी जाए. उन्होंने हरिद्वार जिले के लुक्सोर में राहत प्रयासों की समीक्षा के दौरान मीडिया से यह बात कही.
कई गांवों से टूटा संपर्क
उत्तराखंड आपदा के सत्रह दिन बाद भी लोगों का जन-जीवन पटरी पर नहीं लौट पाया है.प्रभावित गांवों तक राहत पहुंचाना प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है क्योंकि बड़े पैमाने पर सड़क और पुल क्षतिग्रस्त हैं. राज्य सरकार के मुताबिक, 2865 गांवों से अब भी संपर्क टूटा हुआ है, जिससे राहत सामग्री नहीं पहुंच पा रही है. 1335 गांवों तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है. 737 सड़कें ऐसी हैं, जिन पर सामान की ढुलाई नहीं हो सकती. इस बीच प्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि आपदा में जिनके घर गिर गए हैं, उन्हें अगले छह महीने तक 1500 रुपये मासिक की मदद दी जाएगी.
सामने पड़ी है राहत, पहुंच नहीं सकते
सरकार भले ही आपदा प्रभावित इलाकों में सैकड़ों मीट्रिक टन राहत सामग्री गिराने का दवा कर रही हो, पर सड़कों से कटे गांवों में लोगों को अब भी इनका इंतजार है. आपदा प्रभावित इलाकों में जब राहत हेलीकॉप्टरों की आवाज सुनाई देती है तो जत्थों में खड़े लोग उस ओर दौड़ पड़ते हैं. पर उनकी उम्मीदों पर पानी फिर जाता है जब हेलीकॉप्टर ऐसी जगह पर राहत सामग्री गिरा देता है जहां जाने के लिए सड़क ही नहीं बची है.
अमेरिका की ओर से अतिरिक्त मदद
उधर अमेरिका ने आपदा पीड़ितों के लिए करीब 45 लाख रुपये (75,000 डॉलर) की अतिरिक्त मदद का ऐलान किया है. भारत में अमेरिकी राजदूत नैंसी पावेल ने बताया कि अमेरिकी एजेंसी के जरिए एक गैर सरकारी संगठन को 75,000 डॉलर मुहैया कराए जाएंगे ताकि आपदा पीड़ितों की जरूरतें पूरी की जा सकें. 'कैथोलिक रिलीफ सर्विसेज'नाम की एजेंसी शिविरों और गांवों में रह रहे सबसे ज्यादा प्रभावित परिवारों के लिए यह राशि इस्तेमाल करेगी. 23 जून को पावेल ने करीब 90 लाख रुपये (150,000 डॉलर) प्लान इंडिया और सेव द चिल्ड्रेन इंडिया को आपाकालीन राहत के लिए जारी किया था.
जारी है सड़क निर्माण
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) का कहना है कि उत्तराखंड में भारी बारिश और नदियों के बढ़ रहे जलस्तर के बावजूद कुछ इलाकों में राजमार्गों का संपर्क बहाल करने की दिशा में अच्छी प्रगति हुई है. बीआरओ के मुताबिक, दोनों अहम संपर्क मार्ग ऋषिकेश से उत्तरकाशी और ऋषिकेश-जोशीमठ-गोविन्दघाट खुले हुए हैं और गोविन्दघाट और जोशीमठ के बीच के दो अहम अवरोधों को भी साफ कर दिया गया है. संगठन ने सड़कें बहाल करने के काम पर 4000 कर्मचारी और मजदूरों के अलावा 130 खुदाई मशीनें और बुलडोजर काम पर लगाए हैं.
मंत्रालयों ने गठित की टीमें
स्वास्थ्य मंत्रालय ने तीन टीमों का गठन किया है जो आपदा प्रभावित उत्तराखंड में जन स्वास्थ्य उपायों की समीक्षा करेंगी. इन टीमों को चमोली, उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ और उधमसिंह नगर जिले सौंपे गए हैं. उधर जल मंत्रालय ने भी आपदा की संभावित वजहें पता लगाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित की है.