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क्या है UAPA संशोधन विधेयक, जिससे NIA को मिलेंगे असीमित अधिकार

लोकसभा में बुधवार को विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक UAPA को वोटिंग के बाद पास कर दिया गया. इस बिल के पक्ष में 287 जबकि विपक्ष में महज 8 वोट पड़े. विधेयक के पक्ष मे बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमें आतंक के खिलाफ कड़े कानून की जरूरत है.

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नए नियम से एनआईए का आतंकी गतिविधियों में जांच का काम आसान हो जाएगा (सांकेतिक फोटो)
नए नियम से एनआईए का आतंकी गतिविधियों में जांच का काम आसान हो जाएगा (सांकेतिक फोटो)

नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में गृह मंत्री अमित शाह की ओर से पेश किया गया विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन विधेयक 2019 लोकसभा से पास हो गया है. अब इसे राज्यसभा में चर्चा के लिए भेजा जाएगा. यहां से पास होने के बाद कानून बन जाने की स्थिति में आतंकियों पर और लगाम लगाई जा सकेगी, साथ ही एनआईए की ताकत भी बढ़ जाएगी.

लोकसभा में बुधवार को विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन विधेयक unlawful activities prevention amendment act (UAPA) को वोटिंग के बाद पास कर दिया गया. इस बिल के पक्ष में 287 जबकि विपक्ष में महज 8 वोट पड़े. बिल के पक्ष मे बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमें आतंक के खिलाफ कड़े कानून की जरूरत है.

दूसरी ओर, कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने यूएपीए विधेयक को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने की मांग की तो AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बिल संवैधानिक अधिकारों के हनन का अधिकार देता है, किसी को शक या सरकार के कहने पर आतंकी घोषित नहीं किया जा सकता. हालांकि बीजू जनता दल ने इस बिल का समर्थन किया.

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सरकार जहां यूएपीए बिल के साथ खड़ी है तो ओवैसी इसका भारी विरोध कर रहे हैं. आखिर यूएपीए में वो कौन से अहम प्रावधान किए जा रहे हैं, जिसका विपक्ष विरोध कर रहा है.

और कड़े हो जाएंगे नियम

अमित शाह ने 8 जुलाई को यूएपीए बिल लोकसभा में पेश किया था. बिल के जरिए बढ़ते आतंकवाद पर लगाम कसने की यह कवायद माना जा रहा है. यूएपीए बिल के तहत केंद्र सरकार किसी भी संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर सकती है अगर निम्न 4 में से किसी एक में उसे शामिल पाया जाता है.

1. आतंक से जुड़े किसी भी मामले में उसकी सहभागिता या किसी तरह का कोई कमिटमेंट पाया जाता है.

2. आतंकवाद की तैयारी

3. आतंकवाद को बढ़ावा देना

4. आतंकी गतिविधियों में किसी अन्य तरह की संलिप्तता

इसके अलावा यह विधेयक सरकार को यह अधिकार भी देता है कि इसके आधार पर किसी को भी व्यक्तिगत तौर पर आतंकवादी घोषित कर सकती है.

एनआईए की ताकत बढ़ेगी

विधेयक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को भी असीमित अधिकार देता है. अब तक के नियम के मुताबिक एक जांच अधिकारी को आतंकवाद से जुड़े किसी भी मामले में संपत्ति सीज करने के लिए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से अनुमति लेनी होती थी, लेकिन अब यह विधेयक इस बात की अनुमति देता है कि अगर आतंकवाद से जुड़े किसी मामले की जांच एनआईए का कोई अफसर करता है तो उसे इसके लिए सिर्फ एनआईए के महानिदेशक से अनुमति लेनी होगी.

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नए प्रस्तावित संशोधनों के बाद अब एनआईए के महानिदेशक को ऐसी संपत्तियों को कब्जे में लेने और उनकी कुर्की करने का अधिकार मिल जाएगा जिनका आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल किया गया. अब इसके लिए एनआईए को राज्य के पुलिस महानिदेशक से अनुमति लेने की जरुरत नहीं होगी.

इंस्पेक्टर भी कर सकेगा जांच

जांच के संबंध में भी एनआईए (NIA) के पास अब ताकत और बढ़ गई है. अब तक के नियम के अनुसार, ऐसे किसी भी मामले की जांच डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (डीएसपी) या असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (एसीपी) रैंक के अधिकारी ही कर सकते थे. लेकिन अब नए नियम के मुताबिक एनआईए के अफसरों को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं. अब ऐसे किसी भी मामले की जांच इंस्पेक्टर रैंक या उससे ऊपर के अफसर कर सकते हैं.

गृह मंत्री अमित शाह ने संशोधन बिल का समर्थन करते हुए कहा कि आतंकवाद पर करारा प्रहार करने के लिए कड़े और बेहद कड़े कानून की जरूरत है. आज कांग्रेस कानून में संशोधन का विरोध कर रही है जबकि 1967 में इंदिरा गांधी की सरकार ही यह कानून लेकर आई थी.

यूएपीए में नए बदलाव के तहत एनआईए के पास असीमित अधिकार आ जाएंगे. वह आतंकी गतिविधियों में शक के आधार पर लोगों को उठा सकेगी, साथ ही संगठनों को आतंकी संगठन घोषित कर उन पर कार्रवाई कर सकती है. साथ ही जांच के लिए एनआईए को पहले संबंधित राज्य की पुलिस से अनुमति लेना पड़ती थी, लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी, ऐसे में धरपकड़ बढ़ सकती है और विपक्ष को डर है कि इससे एनआईए की मनमानी बढ़ जाएगी और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

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