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साल के टॉप-10 बड़े बमबाजों के बड़े धमाके

खूब धूम धड़ाका लिए दीपावली आई तो हम भी आपके लिए ले आए हैं खबरों का धूम धड़ाका. हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे बड़े बमबाजों के बारे में जिन्‍होंने साल भर तक खबरों के बम को फोड़ा और कभी-कभी तो खुद पर ही फेंक लिए बम. सियासत की दुनिया में साल भर होती रही बमबाजी.

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खूब धूम धड़ाका लिए दीपावली आई तो हम भी आपके लिए ले आए हैं खबरों का धूम धड़ाका. हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे बड़े बमबाजों के बारे में जिन्‍होंने साल भर तक खबरों के बम को फोड़ा और कभी-कभी तो खुद पर ही फेंक लिए बम. सियासत की दुनिया में साल भर होती रही बमबाजी.

बमबाज नंबर-1 अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने पहला बम फोड़ा था सोनिया गांधी के जमाई राजा राबर्ड वाड्रा के दरवाजे पर. सबको करारा झटका लगा जब केजरीवाल ने जमाई राजा की तिजोरी को फुलझड़ी दिखाई. केजरीवाल का वाड्रा बम फूटने के बाद सबसे ज्यादा मजा आया बीजेपी वालों को.

बीजेपी वालों की तरफ जब केजरीवाल ने गडकरी बम फोड़ा तो सब चकरा गए. इस बम से नितिन गडकरी के घर में जोरदार धमाका हुआ, लेकिन गडकरी भी कम घाघ नहीं. बोले ये तो चिल्लर बम है.

केजरीवाल तो बड़े बमबाज हो गए. गडकरी के बाद मुकेश अंबानी के घर पर बम फेंक आए और तो और दिवाली से पहले तो केजरीवाल ने सरकार के दरबार में सीधे चटाई पटाखा फोड़ दिया.

बमबाज नंबर-2 अन्‍ना हजारे
अगर केजरीवाल ने अपने बम से सरकार को  हिलाया तो गुरु अन्‍ना महाराज ने अपने बम से केजरीवाल को चकरघिन्नी बनाया. केजरीवाल बोले हम पार्टी बनाएंगे, नेतागीरी करके सरकार चलाएंगे. इस पर अन्ना महाराज बौखला गए और केजरीवाल पर अन्ना बम बरसा गए. बोले अनशन, आंदोलन में नेतागीरी का क्या काम ? आगे से मत छूना मेरा फोटो, ना इस्तेमाल करना मेरा नाम.

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बमबाज नंबर 3 सुब्रह्मण्यम स्वामी
वाह स्वामी जी, बड़े दिनों बाद बम फोड़ा. दस जनपथ के गेट पर पर तो अक्सर स्वामी जी आरोपों के बम फेंक जाते हैं लेकिन इस बार तो स्वामी जी ने कमाल कर दिया. अभी जमाई राजा पर अरविंद केजरीवाल के बम का धुआं छंटा ही नहीं था कि सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सोनिया और राहुल पर आरोपों के बम फोड़ दिए.

स्वामी जी ने कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाया कि उसने सोनिया और राहुल की कंपनी को 90 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है. सोनिया और राहुल पर बमबारी करके स्वामी जी शांत नहीं हुए, बल्कि कांग्रेस की मान्यता खत्म करने की अर्जी चिपकाकर चुनाव आयोग की तरफ बम फेंक दिया लेकिन चुनाव आयोग ने स्वामी जी के इस बम को फ्यूज कर दिया. कोई बात नहीं स्वामी जी, इस दीवाली तक इतना धमाका भी ठीक ही है.

बमबाज नंबर-4 दिग्विजय सिंह
बयानों के बम की बात चले और अपने दिग्गी राजा का नाम ना आए, ऐसा भला कैसे हो सकता है. दिग्गी राजा पूरे साल बयानों के पटाखे छोड़ते रहे. गुजरात में गुर्रा रहे नरेंद्र मोदी की बीवी को की तरफ दिग्गी राजा ने यशोदा बम दे मारा.

मुंबई में राज ठाकरे की बोलती बंद कर दी दिग्गी राजा ने. हमेशा दूर की कौड़ी ले आने वाले दिग्गी राजा बोले कि बिहार और बिहार के लोगों पर मचमच करने वाले ठाकरे तो खुद बिहारी हैं, उनका परिवार खुद बिहार से आकर महाराष्ट्र में बसा है.

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दिग्गी राजा के इस बम से ठाकरे परिवार की भी घिग्घी बंध गई. गया के पंडितजी भी खाता बही खंगालने लगे कि अगर ठाकरे के पूर्वज बिहार के रहे होंगे तो उनका नाम पता जरुरी दर्ज होगा. अब नाम पता मिले ना मिले, दिग्गी राजा ने तो अपना काम कर ही दिया.

बमबाज नंबर-5 बाबा रामदेव
भूल गए आयुर्वेद भूल गए योगासन. बाबा रामदेव को अब भाने लगा दिल्ली का सिंहासन. योगी बाबा ने पहले तो चार जून को रामलीला मैदान में खूब लीला दिखाई. वहीं से सरकार पर फेंकने लगे एक के बाद एक बयानों के बम.

बाबा ने सरकार पर बम फोड़ा तो बाबा पर फूटा लालू बम फूटा. केजरीवाल ने दस जनपथ के दामाद राबर्ट वाड्रा पर बम फेंका तो बाबा ने अपनी तरफ से भी दो चार फेंक डाले. बाबा साल भर बम फोड़ते रहे, लेकिन कांग्रेसी हंसते रहे. उन्हें तो हमने ये भी कहते सुना की बाबा के बम में नहीं कोई दम क्योंकि बाबा को अब लोग सीरियसली नहीं लेते.

बमबाज नंबर-6 सचिन तेंदुलकर
देखन में छोटन लगे घाव करे गंभीर. शतकों के 99 बम फोड़कर सौवें के लिए सचिन तेंदुलकर ने बहुत तरसाया, लेकिन इस साल सोलह मार्च को सचिन ने बांग्लादेश पर फोड़ ही डाला सौवां बम.

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स्टेडियम में दे दनादन धमाके करने वाले मास्टर ब्लास्टर ने इस साल सियासी मैदान में भी खूब धमाका किया. सचिन क्रिकेट के मैदान से कूदकर सीधे राज्यसभा में पहुंच गए. सियासत में भी सीधे सच्चे सचिन की बमबाजी की जरूरत है और क्रिकेट के मैदान के तो गुरु आप ही सबसे बड़े बमबाज हो.

बमबाज नंबर-7 नितिन गडकरी
अरविंद केजरीवाल के बम से नितिन गडकरी की इज्जत के चीथड़े उड़ गए, लेकिन बात इतने पर ही खत्म नहीं हुई. लगता है कि गडकरी की मति मारी गई थी. स्वामी विवेकानंद और दाऊद के आईक्यू पर अपने ज्ञान की फुलझड़ियां छोड़ने लगे.

ये क्या कर डाला नितिन गडकरी जी ने, बड़े बमबाज बनते थे, उनका बम उन्हीं पर गिर पड़ा. पूरे देश में बवाल मच गया. कांग्रेसी तो बयानों के बम मारने लगे. बम खुद पर गिरा तो गडकरी बाबू गड़बड़ा गए. बम से हुए डैमेज पर सफाई की डेंटिंग पेंटिंग करने लगे.

सफाई नहीं चली. धमाका बड़ा था, गडकरी की सफाई से बात नहीं बनी. गडकरी की ये ग़ड़बड़ी महंगी पड़ने लगी. अब क्या करते मिस्टर पार्टी प्रेसीडेंट. बैकफुट पर आकर माफी बम आगे खिसका दिया. दीवाली से पहले खुद पर फजीहत बम फेंककर गडकरी जी फंस गए थे लेकिन अब वो दिवाली चैन से मना सकते हैं. बशर्ते कोई और बम न फूट जाए.

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बमबाज नंबर-8 रामजेठमलानी
नाम में राम है, लेकिन रामजेठमलानी ने तो भगवान राम पर ही बम फोड़ डाला. भगवान राम अपने वकील साहब को बैड हसबैंड दिखने लगे. दीवाली से ठीक पहले रामजेठमलानी ने सिर्फ राम पर बम फोड़ा तो फोड़ा, लक्ष्मण को भी नहीं छोड़ा. बम फूटा तो आवाज बहुत दूर तलक गई. कांग्रेसियों को तो अपने बम के लिए बना बनाया मसाला मिल गया.

धर्म के नाम पर जो बीजेपी के साथ हैं, रामजेठमलानी के बम पर वो भी बम फेंकने लगे. जेठमलानी ने राम पर बम क्या फोड़ा, जैसे राम नाम जपती बीजेपी पर ही बम उछाल दिया. अब इस बमबाजी पर बीजेपी रामजेठमलानी को समझाने में जुटी है कि राम नाम सत्य है.

बमबाज नंबर-9 श्रीप्रकाश जायसवाल और मुलायम सिंह यादव
जी हां नौवें नंबर पर दो दो बम फोड़वा हैं. कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल को एक मंच पर न जाने क्या सूझी कि वो गांव की गोरी से ज्यादा शहर की छोरी भाने लगी. बयान का बम मंच पर ही फूट गया. जायसवाल बम फूटते ही महिला संगठन और विपक्षी आगबबूला होकर श्रीप्रकाश पर बम फेंकने लगे.

श्रीप्रकाश जायसवाल ने खैर माफी वाफी मांगकर मामला निपटा दिया, लेकिन हाल ही में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने भी कुछ बम फेंक दिया.
नेताजी को भी गांव की महिलाओं से ज्यादा शहर की मेम साहब भाने लगीं. बयान का बम फोड़ तो गए, लेकिन इस बमबाजी में उनकी खूब फजीहत भी हुई.

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बमबाज नंबर-10- राहुल गांधी
अबकी यूपी चुनाव में राहुल गांधी ताव में आ गए, कभी दाढ़ी बढ़ाकर आए, तो कभी आस्तीनें चढ़ाकर आए. साथ में बहनोई वाड्रा, बहन प्रियंका, और उनके बच्चों को भी लाए. समाजवादी पार्टी के वादों का पर्चा तार-तार किया. तो मायावती के हाथी पर भी जमकर प्रहार किया.

कांग्रेसी समझे कि अबकी जीत का बड़ा धमाका होगा, राहुल के नेतृत्व में यूपी का ताज हमारा होगा, लेकिन बड़े-बड़े दावे धरे के धरे रह गए. हारे हुए राहुल जनता से ये कह गए कि हार की जिम्‍मेदारी मैं अपने ऊपर लेता हूं.

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