किसी भी खाद्य पदार्थ को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए पोटेशियम आयोडेट और पोटाशियम ब्रोमेट की अधिकतम मात्रा 32 मिलियन पौंड में एक पौंड होनी चाहिए. इससे ज्यादा होने पर लोगों के लिए भीषण खतरा है. ऐसा होने पर इंसान के अंगों में विकृति, कैंसर, फेफड़ों का संक्रमण, अंगों का फेल होना सहित और भी कई तरह की बड़ी बीमारियों का खतरा है.
दस बोरी मैदा में आधी चुटकी भी जानलेवा
कैमिस्ट्री की इस हिदायत के मुताबिक तो दस बोरी मैदा में इन केमिकल्स की आधी चुटकी भी जानलेवा है. मेडिकल साइंस ने तो इन दो रसायनों को खाद्य पदार्थ में मिलाने की ये मात्रा बताई हैं. अब सवाल है कि कौन सी बेकरी इस पर कितनी सख्त है.
सीईसी की रिपोर्ट से चौंके एक्सपर्ट
सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट में तो यह साबित हुआ है कि इस गंभीर मामले में सब लापरवाह हैं. वरिष्ठ चिकित्सक और काय चिकित्सा के विशेषज्ञ डॉ मोहसिन वली के मुताबिक रसायनों के इस्तेमाल की इजाजत, प्रेसक्राइब्ड होना और सख्त निगरानी में समुचित मात्रा में इस्तेमाल किया जाना दोनों बिलकुल अलग बातें हैं.
परंपरागत खाने की ओर लौट रहे हैं लोग
ऐसी हालत में खाने-पीने की चीजों में खतरे की बात के सामने आने से लोगों का ध्यान फिर से परंपरागत खाने की ओर खींचा है. दादी, नानी और मां के हाथों से बनी खमीरी रोटी और मीठी रोटी की तरफ लोगों की नजरें जाने लगी हैं.
दुनिया भर में बैन केमिकल्स को भारत में खुली छूट
दुनिया के कई देशों में इन केमिकल्स के इस्तेमाल पर पूरी पाबंदी है. वहीं कई देशों में सख्त निगरानी में बहुत कम मात्रा में इस्तेमाल की इजाजत है. वहीं भारत में अब तक इसकी खुली छूट क्यों थी? इसकी जांच की मांग की जाने लगी है.
FSSAI के नाक के नीचे चलता रहा गोरखधंधा
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने इस मामले में कहा कि हमारे एक्सपर्ट और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के वैज्ञानिक इस बारे में जांच कर रिपोर्ट देंगे. जांच पूरी होने पर सरकार फौरन जरूरी कार्रवाई करेगी. वहीं लोगों ने सवाल किया है कि FSSAI को अब तक होश क्यों नहीं आया था.