तेलंगाना एक ऐसा राज्य है जहां गोदावरी जैसी समृद्ध नदी होने के बावजूद भीषण जल संकट है. न तो सिंचाई के लिए पानी है और न ही पेयजल ही पर्याप्त है. फैक्ट्रियों में पानी की सप्लाई भी आधी-अधूरी है. आंध्र प्रदेश से अलग होकर अलग राज्य की एक मांग के पीछे तेलंगाना के लोगों की ये समस्या भी एक प्रमुख कारण थी. आए दिन इस राज्य से आने वाली किसानों की खुदकुशी की खबरों के मूल में भी पानी का यही संकट है.
अब इस नवगठित राज्य के एक बड़े हिस्से की ये तस्वीर बदलने वाली है और इसका सबसे बड़ा संकटमोचक बनेगी करीब 85 हजार करोड़ रुपये की लागत से पिछले तीन साल में तैयार 'कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई योजना' (KLIS). इस योजना की विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये देश ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना बताई जा रही है. अगस्त से इस परियोजना के तहत गोदावरी नदी से पानी खींचना शुरू हो जाएगा.
'कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना' को मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) बीएचईएल के साथ मिलकर तैयार कर रही है. तेलंगाना की केसीआर सरकार के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में राज्य के 13 जिलों में 18 लाख एकड़ जमीन को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाना है. इसके अलावा हैदराबाद और सिकंदराबाद में पीने का पानी और कई जिलों में फैक्ट्रियों को भी इसके जरिए पानी सप्लाई किया जाएगा.

गौरतलब है कि गोदावरी नदी समुद्र तल से 100 मीटर ऊपर बहती है. जबकि तेलंगाना गोदावरी से 300 से 650 मीटर ऊपर स्थित है. ऐसे में गोदावरी का पानी न तो तेलंगाना के लोगों की और न ही वहां की जमीन की प्यास बुझा पाता है. इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने गोदावरी के पानी को विशालकाय पंप हाउस के जरिए लिफ्ट कराकर राज्य के ऊपरी हिस्सों में पहुंचाने की योजना बनाई. और अब तीन साल बाद राज्य में दुनिया का सबसे बड़ा पंप हाउस बनकर तैयार है जो अगस्त के महीने से काम भी करना आरंभ कर देगा.
मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के निदेशक बी श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि तेलंगाना के जयशंकर भूपलपल्ली जिले के मेडिगड्डा में गोदावरी के साथ तीन नदियों का पानी इस परियोजना के जरिए उपयोग किया जाएगा. इसके तहत मुख्य गोदावरी नदी के पानी को सुरंग के जरिए जलाशयों में एकत्रत किया जाएगा और फिर इस पानी को नहर के जरिए लोगों तक पहुंचाया जाएगा.

बी श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि कालेश्वरम परियोजना अगस्त के पहले सप्ताह में विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए तैयार है, जब 139 मेगावॉट क्षमता वाले विशाल पंप प्रत्येक दिन 2 हजार मिलियन क्यूबिक फीट (टीएमसी) पानी उठाना शुरू कर देंगे. इसके तहत 14.09 किलोमीटर लंबी दुनिया की सबसे लंबी सिंचाई सुरंग के जरिए गोदावरी नदी का पानी मेडिगड्डा बैराज पहुंचेगा.
MEIL का दावा है कि यह दुनिया में पहली बार है कि एक सिंचाई परियोजना में 13 टीएमसी पानी की भारी मात्रा में उठाने के लिए 139 मेगावाट पंप का उपयोग किया जा रहा है.

टी हरीश राव ने कहा कि सात परियोजनाओं और 8 पैकेजों में विभाजित कालेश्वरम परियोजना में 13 जिलों में 20 जलाशयों की खुदाई शामिल है जिसमें 145 टीएमसी पानी स्टोर करने की कुल क्षमता है. जलाशयों 330 किलोमीटर की दूरी पर चलने वाली सुरंगों के नेटवर्क के माध्यम से जुड़े हुए हैं. सबसे लंबी भूमिगत सुरंग 21 किलोमीटर लंबी मेदराम जलाशय के साथ येलम्पाली जलाशय को जोड़ती है.