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सॉफ्ट ड्रिंक्स की क्वालिटी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, दिए जांच के आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सॉफ्ट ड्रिक से शरीर पर होने वाले बुरे असर पर चिंता जताई है और उन इंतजामों की समय-समय पर जांच का आदेश दिया है, जहां ये सॉफ्ट ड्रिंक्स बनाई जाती हैं.

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सॉफ्ट ड्रिंक
सॉफ्ट ड्रिंक

सुप्रीम कोर्ट ने सॉफ्ट ड्रिक से शरीर पर होने वाले बुरे असर पर चिंता जताई है और उन इंतजामों की समय-समय पर जांच का आदेश दिया है, जहां ये सॉफ्ट ड्रिंक्स बनाई जाती हैं.

जस्टिस केएस राधाकृष्णन और एके सीकरी की बेंच ने मंगलवार को कहा, 'यह मुद्दा नागरिकों को संविधान में मिली जीवन की गारंटी से जुड़ा है, इसलिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) समय-समय पर यह जांच करवाएगी.'

FSSAI को सॉफ्ट ड्रिंक्स से शरीर को होने वाले नुकसान का मूल्यांकन करने और सभी पेय पदार्थों पर लगे लेबल पर उनके तत्वों और केमिकल्स का जिक्र सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में दाखिल की गई प्रशांत भूषण की याचिका पर सुनवाई कर रहा था.

पेप्सी ने किया था विरोध
सॉफ्ट ड्रिंक कंपनी पेप्सी ने याचिका का इस आधार पर विरोध किया था कि FSSI पेय पदार्थों के मानक नियमित करने का काम करती है और उन नियमों का पालन किया जा रहा है.

कई कार्बोनेटेड पेय पदार्थों के तत्वों की जांच करने के बाद FSSI ने भी एक आदेश जारी कर दिया है. इन तत्वों में आर्टिफिशयल स्वीटनर, फॉस्फोरिक, मैलिक और सिट्रिक एसिड, कार्बन डाई ऑक्साइड, कलरिंग एजेंट, बेंजॉइक एसिड और कैफीन शामिल हैं. FSSAI के पैनल का कहना है कि इन तत्वों का निर्धारित सीमा में प्रयोग करना खतरनाक नहीं है.

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डॉक्टर हैं सबसे ज्यादा खुश
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से डॉक्टर बेहद खुश हैं. सॉफ्ट ड्रिंक्स के साथ बुनियादी समस्या यह है कि उनमें शुगर बहुत ज्यादा होती है. 330 एमएल कोला की बोतल में औसतन 8-9 चम्मच के बराबर शुगर होती है. यह बच्चों और वयस्कों में भी मोटापे का अहम कारण है. मोटापा इसलिए ज्यादा खतरनाक है क्योंकि वह ढेर सारी बीमारियों को दावत देता है.

डायट सोडा में शुगर या कैलरी नहीं होती. माना जाता है कि उसे पीने से भूख बढ़ती है और रेगुलर कोला की तरह उसमें भी थोड़ा कैफीन होता है. हालांकि, ज्यादा शुगर और कैफीन वाले सॉफ्ट ड्रिंक में फॉस्फेट कंटेंट प्रचुर मात्रा में होता है.बच्चों की डाइट में सॉफ्ट ड्रिंक कैफीन का सबसे बड़ा और एकमात्र स्रोत होता है. 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए सॉफ्ट ड्रिंक ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इस उम्र में किडनी ज्यादा फॉस्फोरस नहीं छोड़ती, जिससे जरूरी कैल्शियम की कमी हो जाती है.

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