सेहत और स्वाद के झमेले में फंसी हर दिल अजीज 'मैगी' नूडल्स कोर्ट में लंबी लड़ाई के बाद बाजार में तो आ गई है, लेकिन एक बार फिर से यह विवादों के घेरे में है. देश की शीर्ष अदालत ने बुधवार को 'मैगी' नूडल्स के सैंपल्स को फिर से जांच के लिए भेजे जाने का आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेस्ले इंडिया की 'मैगी' के ताजा सैंपल्स की मैसूर की लैब में एक बार फिर से जांच किया जाए. कोर्ट ने एनसीडीआरसी की निगरानी में इन सैंपल्स की जांच के आदेश दिए हैं. शीर्ष अदालत के जज जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस प्रफुल्ल सी पंत ने कहा कि लोकल कमिश्नर लखनऊ स्थित नेस्ले के गोडाउन से 'मैगी' के सैंपल्स को लैब में जांच के लिए भेजे.
कंज्यूमर कोर्ट में नहीं चलेगा मुकदमा
इसके साथ ही कोर्ट ने कंज्यूमर कोर्ट को नेस्ले इंडिया के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाने का आदेश दिया है. केंद्र सरकार की ओर से नेस्ले इंडिया पर 6 अरब रुपये का मुकदमा दायर किया गया था, जिसकी सुनवाई कंज्यूमर कोर्ट कर रहा है.
कोर्ट ने यह फैसला उस मामले की सुनवाई के दौरान दिया है, जिसमें नेस्ले ने एनसीडीआरसी के चेन्नई लैब में 'मैगी' के सैंपल्स की जांच के आदेश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के 'मैगी' नूडल्स पर हटाए गए बैन के आदेश के खिलाफ FSSAI की याचिका पर भी सुनवाई की तारीख 12 जनवरी मुकर्रर की है.
कोर्ट में पेश होगी पिछली रिपोर्ट
कोर्ट ने इसके साथ ही कहा कि पहले की रिपोर्ट सहित परीक्षण रिपोर्ट भी न्यायालय में पेश की जाएंगी. कोर्ट ने यह आदेश उस वक्त दिया जब नेस्ले इंडिया लिमिटेड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी इन नमूनों को चेन्नई की बजाय मैसूर की प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए भेजने पर राजी हो गए.
कितने सैंपल और फिर से जांच क्यों?
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निबटान आयोग ने दस दिसंबर को कहा था कि उसके द्वारा नियुक्त स्थानीय कमिशनर 'मैगी' के 16 नमूनों को परीक्षण के लिए चेन्नई भेजेंगे, ताकि कंपनी के खिलाफ कथित अनुचित व्यापार व्यवहार के आरोप में 640 करोड़ रुपये के सरकार के वाद के सिलसिले में इनमें सीसे और मोनो सोडियम ग्लूटामेट (एसएसजी) की मात्रा का पता लगाया जा सके.
कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के दौरान वे केंद्र और नेस्ले इस बात पर सहमत थे कि स्वास्थ प्रमुख चिंता का विषय है और खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून 2006 के मानदंडों के अनुपालन के लिए परीक्षण करना होगा. अदालत ने कहा कि इस बात पर सहमति हुई कि मैसूर की प्रयोगशाला सभी तरह के परीक्षणों के लिए पूरी तरह सुसज्जित है और नमूनें वहीं भेजे जाने चाहिए.