आने वाले छह हफ्तों तक एडीशनल सॉलिसीटर जनरल मनिंदर सिंह को अपना कुछ वक्त सेक्सुअल वेलनेस प्रोडक्ट्स के पैकेटों पर छपी तस्वीरों की पड़ताल करने में बिताना पड़ सकता है.
दरअसल, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने एएसजी से इस मुद्दे पर रिपोर्ट मांगी है कि क्या कंडोम के पैकेट पर छपी तस्वीरें अश्लील हैं और वह कानून का उल्लंघन करती हैं.
कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
बेंच ने एएसजी से कहा, 'आप बताइए कि क्या ऐसे विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है या नहीं. आप रिकॉर्ड में मौजूद विज्ञापनों को देखिए और अन्य उत्पादों पर भी नजर डालिए, उसके बाद रिपोर्ट दीजिए.'
क्या बाजार में आने से पहले हो सकती है पड़ताल?
कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या उनके पास ऐसा कोई प्लान है जिससे ऐसे विज्ञापनों पर नजर रखी जा सकते और उन पर लगाम लगाई जा सके. कोर्ट ने कहा, 'क्या ऐसा कोई तरीका है जिससे इन उत्पादों पर छपने वाली तस्वीरें पहले ही देख ली जाएं, या उत्पाद के बाजार में आने पर ही हम इन्हें देख सकते हैं. क्या ऐसे विज्ञापन कानून का उल्लंघन करते हैं.'
हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. साल 2008 में हाई कोर्ट ने कंपनियों को कंडोम की पैकेजिंग में 'सेक्सी' तस्वीरों का इस्तेमाल न करने का आदेश दिया था.