उच्चतम न्यायालय ने झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन को अपने निजी सचिव शशिनाथ झा की हत्या के मामले में दोषमुक्त करार दिए जाने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिका सोमवार को स्वीकार कर ली.
सीबीआई ने इस मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री को दोषमुक्त करार दिए जाने को चुनौती नहीं देने का फैसला किया था. सोरेन (65) को एक निचली अदालत ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनायी थी. लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें दोषमुक्त करार दिया था.
झा की मां प्रियंबदा देवी ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील की थी. लेकिन सीबीआई ने सिर्फ चार लोगों को दोषमुक्त करार दिए जाने के फैसले को ही चुनौती दी थी जबकि मामले में पांच लोगों को दोषमुक्त करार दिया गया था. झा की मां के वकील के. सुनील ने कहा, ‘हमने सभी पांच लोगों की रिहाई के खिलाफ अपील की है लेकिन सीबीआई ने सोरेन की रिहाई को चुनौती नहीं दी है.’
न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति ए के पटनायक की पीठ ने प्रियंवदा देवी और सीबीआई की याचिकाओं को स्वीकार कर लिया. उच्च न्यायालय ने 22 अगस्त 2007 को झा की हत्या से संबंधित मामले में सोरेन को रिहा कर दिया था. अदालत ने चार अन्य लोगों नंद किशोर मेहता, शैलेंद्र भट्टाचार्य, पशुपतिनाथ मेहता और अजय कुमार मेहता को भी दोषमुक्त करार दिया था.
इसके पहले दिल्ली की एक निचली अदालत ने 28 नवंबर 2006 को सोरेन तथा चार अन्य आरोपियों को झा के अपहरण एवं हत्या का दोषी ठहराया था. मामले में सजा पांच दिसंबर 2006 को सुनायी गयी थी. झा 22 नवंबर 1994 को दिल्ली के धौला कुआं इलाके से लापता हो गए थे और अगले दिन उन्हें कथित तौर पर सोरेन के करीबी लोगों के साथ रांची में आखिर बार देखा गया था.