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आज ही के दिन मिला था संडे को छुट्टी मनाने का मौका, 7 साल चला संघर्ष

साप्ताहिक अवकाश हासिल करने के लिए हमारे देश में लंबा आंदोलन चला और इसकी शुरुआत की थी मजदूर नेता नारायण मेघाजी लोखंडे ने. लोखंडे ने साप्ताहिक अवकाश के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लंबा संघर्ष किया और आंदोलन चलाया. यह उन्हीं के आंदोलन का ही प्रयास था कि अंग्रेज हुकूमत ने 10 जून को आम भारतीयों के लिए रविवार के दिन को साप्ताहिक अवकाश के लिए चुन लिया.

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रविवार की छुट्टी के लिए देश में 7 साल चला संघर्ष (फोटो-Getty)
रविवार की छुट्टी के लिए देश में 7 साल चला संघर्ष (फोटो-Getty)

आज सोमवार है और लोग साप्ताहिक छुट्टी बिताकर आज फिर से अपने काम पर निकल जाएंगे. वीकेंड यानी रविवार (संडे) आने से पहले ही हर किसी को छुट्टी का अहसास होने लगता है लेकिन कभी सोचा है कि हमारे देश में छुट्टी की शुरुआत कब से हुई. एक दौर ऐसा भी था जब काम करने वालों को साप्ताहिक छुट्टी नहीं मिलती थी और लोगों को हफ्ते के सातों दिन काम करने को मजबूर होना पड़ा था, लेकिन आज से 129 साल पहले हमें हमारा प्यारा रविवार मिल गया छुट्टी मनाने के लिए.

साप्ताहिक अवकाश हासिल करने के लिए देश में लंबा आंदोलन चला और इसकी शुरुआत की थी मजदूर नेता नारायण मेघाजी लोखंडे ने. लोखंडे ने साप्ताहिक अवकाश के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लंबा संघर्ष किया और आंदोलन चलाया. यह उन्हीं के आंदोलन का ही प्रयास था कि अंग्रेज हुकूमत ने 1890 में 10 जून को आम भारतीयों के लिए रविवार के दिन को साप्ताहिक अवकाश के लिए चुन लिया और अपनी मान्यता दी.

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पहले नहीं मिलती थी छुट्टी

ब्रिटिश राज में कपड़ा और अन्य कई तरह की मिलों में बड़ी संख्या में भारतीय मजदूरों काम करते थे. उन्हें हफ्ते के सभी सातों दिन काम करना होता था और उनके लिए छुट्टी की कोई व्यवस्था नहीं थी. मिल मजदूरों को एक दिन की छुट्टी के लिए मजदूर नेता नारायण मेघाजी लोखंडे ने अपना अभियान शुरू किया.

साप्ताहिक अवकाश के लिए लोखंडे ने अंग्रेज शासकों के सामने प्रस्ताव पेश किया, लेकिन उसे ठुकरा दिया गया. इसके बाद लोखंडे को अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा. करीब 7 साल के संघर्ष के बाद अंग्रेज हुकूमत को अपना फैसला बदलना पड़ा और सभी भारतीयों के लिए रविवार के दिन को साप्ताहिक अवकाश के रूप में मान्यता दे दी.

ऐसा नहीं है कि इससे पहले देश में रविवार को साप्ताहिक अवकाश को कोई व्यवस्था नहीं थी. इस फैसले से पहले सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को ही रविवार के रूप में साप्ताहिक छुट्टी मिलती थी.

लंच ब्रेक की भी शुरुआत

मजदूर नेता नारायण मेघाजी लोखंडे ने भारतीयों के लिए न सिर्फ साप्ताहिक अवकाश की व्यवस्था कराई बल्कि उनके ही प्रयासों के दम पर रोजाना दोपहर में आधे घंटे के लिए आराम करने का मौका भी दिया गया जो आगे चलकर लंच ब्रेक बन गया.

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खास बात यह है कि वैश्विक स्तर पर रविवार के दिन को अवकाश के रूप में देने की शुरुआत इसलिए हुई क्योंकि ईसाई समाज के लोगों के लिए रविवार का दिन प्रार्थना करने का होता है और गिरजाघर में जाकर प्रार्थना करते थे. इसी को देखते हुए रविवार को साप्‍ताहिक अवकाश के रूप में घोषित किया गया.

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