अगर आप बाजार से शुगर फ्री आलू खरीद कर खा रहे हैं और यह सोच रहे हैं कि आपकी डायबिटीज इससे कंट्रोल होगी तो आप गलत है. बाजार में इन दिनों जो आलू शुगर फ्री कहकर बेचा जा रहा है, वह असल में शुगर फ्री नहीं बल्कि लो शुगर आलू है.
इस बारे में शिमला स्थित सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीटूट ( Central Potato research institute) के डॉ. ब्रजेश सिंह का कहना है कि भारत में इन दिनों शुगर फ्री कहकर आलू की मार्केटिंग हो रही है, वह असल में 'लो शुगर' आलू है और इसका डायबिटीज कंट्रोल करने से कोई ताल्लुक नहीं है.
आइए जानते हैं इसके पीछे आखिर क्या है विज्ञान...
डॉ. ब्रजेश सिंह ने बताया कि भारत में जनवरी से मार्च तक 90 प्रतिशत आलू की फसल उत्तरी भारत के मैदानी और पहाड़ी इलाकों में होती है. कुछ वर्षों पहले आलुओं का भंडारण 2 से 4 डिग्री सेल्सियस पर होता था. इसके पीछे कारण यह है कि इस तापमान पर आलुओं में अंकुरण नहीं होता है. भंडारण के वक्त ही आलू में कार्बोहाइड्रेट से स्टार्च में तब्दील होने की प्रक्रिया होती है जिस वजह से आलू में मीठापन आ जाता है और इसमें शुगर का लेवल लो होता है, लेकिन बाजारों में यह आलू लो शुगर कहकर बिकता है.
डॉ. ब्रजेश सिंह ने आजतक से बात करते हुए आगे बताया कि देश में शुगर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसका फायदा उठाकर लोग लो शुगर आलू को शुगर फ्री कहकर मार्केट में बेच रहे हैं.
आलू के व्यवसाय से जुड़े हिसार के आलोक त्रिवेदी ने बताया कि आलू शुगर फ्री के नाम पर चार पांच रुपये अधिक कीमत पर बिकता है. किसान भी शुगर फ्री आलू बो रहे हैं. डायबिटीज के कई मरीज शुगर फ्री आलू की मांग करते हैं. हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि क्या आलू शुगर फ्री होने के कोई वैज्ञानिक प्रमाण हैं तो उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया.
कैसे रुक जाती है आलू में कार्बोहाइड्रेट से स्टार्च में तब्दील होने की प्रक्रिया...
सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीटूट के वैज्ञानिक बताते हैं कि आलू में चिप्सोना वैरायटी को सबसे कम शुगर वाला आलू माना जाता है. इसमें चिप्सोना-1, चिप्सोना-3, चिप्सोना-4 एवं फ्राई सोना आलू वैरायटी काफी मशहूर है. कोल्ड स्टोरेज में आलू पर सीआईपीसी दवा का छिड़काव किया जाता है जो कुछ समय के लिए आलू में कार्बोहाइड्रेट से स्टार्च में तब्दील होने की प्रक्रिया रोक देता है.
क्या कहते हैं डॉक्टर....
दिल्ली की रहने वाली डॉक्टर मधु चौहान बताती हैं कि डायबिटीज के मरीज यह सोचकर शुगर फ्री आलू का सेवन करते हैं कि उसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है. लेकिन यह महज एक भ्रम है. उनका कहना है कि जो लोग शुगर फ्री आलू खाते हैं उनमें शुगर का लेवल हाई पाया गया है.
कैसे पहचाने लो शुगर आलू को...
लो शुगर आलू की पहचान मुश्किल नहीं है. ये देखने में साफ मटमैले रंग का होता है और इसका छिलका पतला होता है. आकार में भी यह मीडियम साइज का होता है और इसकी सतह चिकनी होती है.