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स्पोर्ट्स बाइक्स का शौक नहीं, खतरनाक डिजाइन ले रही जान!

बाइक की डिजाइंस सरकार द्वारा अप्रूव की जाती है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि बिना सेफ्टी हैंडल वाली इन स्पोर्ट्स बाइक का अप्रूवल सरकार ने कैसे दे दिया? अगर मोटर व्हीकल एक्ट में हर बाइक में सेफ्टी गार्ड मैनडेटरी है तो इन सेफ्टी हैंडल्स को कैसे गायब कर दिया गया.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

सड़क पर होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत से ज्यादा मौत टू-व्हीलर चलाने वालों की होती है. WHO साउथ-ईस्ट एशियन रीज़न का आंकड़ा ये बताता है कि सड़क इस्तेमाल करने वाले लोगों में सबसे संकटग्रस्त बाइक सवार ही हैं.

आप जानकर चौंक जाएंगे कि मोटरबाइक की सेफ्टी को लेकर अपने देश में कोई काम ही नहीं हुआ है. बाइक की रोड इंजीनियरिंग तो दूर की बात है.

रोड सेफ्टी एनजीओ ट्रैक्स के प्रेसीडेंट अनुराग कुलश्रेष्ठ ने केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान में चल रहे 2 दिवसीय सेमीनार में खुलासा किया कि नई स्पोर्ट्स बाइक्स जहां पिलियन राइडर की ऊंचाई लगातार बढ़ाए जाने से सेंटर ऑफ ग्रेविटी बढ़ती जा रही है. नई स्पोर्टस बाइक में सेंटर ऑफ ग्रेविटी 3 से 4 इंच तक बढ़ा दी गई है. सेंटर ऑफ ग्रेविटी और ज्यादा उठाए जाने से उसकी डिसबैलेंस होने की क्षमता बढ़ती जाती है. यही वजह है कि एक्सीडेंट के बाद ऊंचाई पर बैठा हुआ शख्स उछलकर दूर जा गिरता है.

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खास बात यह है कि मोटर व्हीकल एक्ट कहता है कि हर बाइक में सेफ्टी हैंडल होना ही चाहिए, लेकिन इंडियन मैनुफैक्चरर्स ने मॉडीफाइड और स्पोर्टस बाइक बनाने के चक्कर में सेफ्टी हैंडल गायब कर दिया जो स्पोर्ट्स बाइक की डिज़ाइन में सबसे बड़ी खामी है.  

सबसे रुचिकर बात है कि बाइक की डिजाइंस सरकार द्वारा अप्रूव की जाती है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि बिना सेफ्टी हैंडल वाली इन स्पोर्ट्स बाइक का अप्रूवल सरकार ने कैसे दे दिया? अगर मोटर व्हीकल एक्ट में हर बाइक में सेफ्टी गार्ड मैनडेटरी है तो इन सेफ्टी हैंडल्स को कैसे गायब कर दिया गया.

कुछ साल पहले जबलपुर हाईकोर्ट और मुंबई हाईकोर्ट ने बता दिया था कि उस मोटरसाइकिल का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा जिसमें साइड गार्ड और सेफ्टी गार्ड रिमूव कर दिया गया हो पर इसी साल एक महीने पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन जारी की और फाइनल किया कि सेफ्टी गार्ड और हैंडल मस्त किसी भी बाइक में फैक्ट्री एन्ड पर ही लगने चाहिए. ऐसे में  स्पोर्ट बाइक के दीवानों की जान जाने में डिज़ाइन पास करने वाली सरकार जिम्मेदार है या मैन्युफैक्चरर या फिर जो हादसे में मारे गए.

 

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