देश में बढ़ रही असहिष्णुता को लेकर जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली मोदी सरकार की ढाल बनकर खड़े हो गए हैं. साथ ही में प्रदर्शनों पर भी प्रहार किया है. जेटली ने फेसबुक पर लिखा है कि 2002 के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद सबसे ज्यादा असहिष्णुता झेली है. वह वैचारिक असहिष्णुता के सबसे बड़े पीड़ित हैं.
कहा- कांग्रेस, वामपंथी विचारकों को बताया दोगला
जेटली ने कहा है कि ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्होंने बीजेपी की विचारधारा को कभी स्वीकार नहीं किया. जाहिर तौर पर कांग्रेस वामपंथी विचारक और एक्टिविस्ट इनमें शामिल हैं. वे बीजेपी से असहिष्णुता दिखाते रहे हैं. उनकी दोहरी रणनीति है. पहली, संसद में बाधा डालना और सुधार न होने देना. दूसरी, एक संगठित प्रोपैगेंडा फैलाना. ऐसा माहौल बनाना कि भारत में सामाजिक संघर्ष है. वे भारत को असहिष्णु राष्ट्र के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाहते हैं. जबकि सच कुछ और है.
भारत हमेशा सहिष्णु और उदार रहेगा
जेटली ने कहा कि ऐसा प्रोपैगेंडा फैलाने वालों ने कभी अपनी यूनिवर्सिटी, अकादमिक संस्थानों और सांस्कृतिक संस्थाओं में वैकल्पिक विचार नहीं पनपने दिया , जिनमें वे रहे. दादरी अचानक हुई घटना थी. यह दुर्भाग्यपूर्ण है और इसकी निंदा की जानी चाहिए. दोषी को सजा दी जाएगी. ऐसी घटनाओं के बावजूद भारत सहिष्णु और उदार रहेगा. यह उकसावे में नहीं आता. इसलिए भारत के हर शुभचिंतक और सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश की ग्रोथ को रोकने वाले बयान न दिए जाएं.