टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज शिव सुंदर दास का आज जन्मदिन है. ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में जन्में दास आजकल पूर्वी क्षेत्र के कोच हैं. अंतरराष्ट्रीय करियर में शिव सुंदर दास का योगदान बतौर टेस्ट प्लेयर ही रहा. वो वनडे में कुछ खास नहीं कर सके. हालांकि उन्हें केवल चार वनडे में ही खेलने का मौका मिला और इसमें उन्होंने कुल मिलाकर 13 की औसत से 39 रन बनाए.
दास टेस्ट के अच्छे ओपनर के तौर पर उभरे थे. दाहिने हाथ के बल्लेबाज शिव सुंदर दास ने 10 नवंबर 2010 को टेस्ट क्रिकेट में अपनी पहली पारी खेलने के ठीक एक साल, एक महीने बाद ही 15 दिसंबर 2001 को 1000 रन का आंकड़ा छू लिया था. इसके लिए उन्होंने 15 टेस्ट की 28 पारियां खेली. एक साल तक लगातार अच्छे प्रदर्शन के बावजूद जब वो वेस्टइंडीज दौरे पर नाकाम रहे और पांच टेस्ट की आठ पारियों में 15.5 की औसत से महज 124 रन बना सके तो उन्हें दोबारा टीम में नहीं चुना गया. शिव सुंदर दास ने भारत के लिए कुल 23 टेस्ट मैच खेले. इस दौरान उन्होंने 34.89 की औसत से दो शतक और 9 अर्धशतक समेत 1326 रन बनाए.
बड़े प्लेयर्स की मौजूदगी में बने बेस्ट प्लेयर
बात 2000-2001 के जिम्बाब्वे दौरे की है. तब टीम में सचिन, गांगुली, द्रविड़ और लक्ष्मण जैसे बल्लेबाजों मौजूद थे. बुलावायो टेस्ट में जिम्बाब्वे ने पहली पारी में 173 रन बनाए इसके जवाब में भारतीय टीम ने 318 रन बनाए. लेकिन जब जिम्बाब्वे तीसरी पारी खेलने उतरी तो उसने 328 रन बना डाले. जीत के लिए भारत को 184 रनों की जरूरत थी. ऐसे में जरूरत थी सलामी बल्लेबाजों के विकेट पर टिक कर खेलने की. पहली पारी में 30 रन बनाने वाले शिव सुंदर दास ने इसका दारोमदार लिया और आउट हुए बगैर 82 रन बनाए. उनके इस प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया.
शिव सुंदर दास ने टेस्ट में अपनी दो शतकीय पारी जिम्बाब्वे के खिलाफ खेलीं. 2001 में जिम्बाब्वे दौरे पर भारत ने दो टेस्ट खेले. इनकी चार पारियों में दास का स्कोर रहा 30, 82 (नॉट आउट), 57 और 70 और उन्हें पहले मैच में ‘मैन ऑफ द मैच’ के बाद ‘मैन ऑफ द सीरीज’ चुना गया.
दस हजारी क्लब में नाम
वैसे तो दास का अंतरराष्ट्रीय करियर 2002 में ही खत्म हो गया लेकिन वो घरेलू क्रिकेट लगातार खेलते रहे. क्रिकेट से संन्यास लेने से पहले तक दास 2010 तक ओडिशा की ओर से और फिर विदर्भ के लिए वो 2012 तक रणजी ट्रॉफी मैचों में खेले. इस दौरान उन्होंने 10908 रन बनाए और घरेलू क्रिकेट के दस हजारी क्लब में शामिल हुए. 24 शतक के साथ यहां उनकी सर्वश्रेष्ठ पारी 300 रन नॉट आउट रही.