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सबरीमाला पर भागवत बोले- कोर्ट के फैसले से पैदा हुआ असंतोष

केरल में सबरीमाला मामले पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि धर्म से जुड़े मामले में धर्माचार्यों से बातचीत करने के बाद ही कोई फैसला दिया जाना चाहिए.

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संघ प्रमुख मोहन भागवत
संघ प्रमुख मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) आज विजयादशमी उत्सव (RSS VijayaDashami) मना रहा है. संघ के मुख्यालय नागपुर में हो रहे इस कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सबरीमाला के मुद्दे पर कहा कि धर्म से जुड़े किसी भी मामले में धर्माचार्यों की राय ली जानी चाहिए. उन्होंने इशारों-इशारों में कहा कि आस्था के मामले में सुप्रीम कोर्ट दखल न दे.

आंदोलन करने वाली महिला आस्था को नहीं मानती

मोहन भागवत ने कहा कि सबरीमाला के निर्णय का उद्देश्य स्त्री-पुरुष समानता का था, लेकिन क्या हुआ. इतने वर्षों से परंपरा चल रही है वह टूट गई, जिन्होंने याचिका डाली वो कभी मंदिर नहीं गए, जो महिलाएं कोर्ट के फैसले से असहमत होकर आंदोलन कर रही हैं वो आस्था को मानती हैं. धर्म के मुद्दे पर धर्माचार्यों से बात होनी चाहिए, वो बदलाव की बात को समझते हैं.

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कोर्ट के फैसले पर असंतोष

संघ प्रमुख ने कहा कि ये परंपरा है, उसके पीछे कई कारण होते हैं. कोर्ट के फैसले से वहां पर असंतोष पैदा हो गया है. महिलाएं ही इस परंपरा को मानती हैं, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई. इसी का नतीजा है कि महिलाएं भी विरोध कर रही है.

कोर्ट के फैसले के संघ की राय

बता दें कि सबरीमाला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) ने केरल सरकार की आलोचना की थी. संघ ने 4 अक्टूबर को कहा था कि सबरीमला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विचार करते समय श्रद्धालुओं की भावना की अनदेखी नहीं की जा सकती. इसके साथ ही आरएसएस ने सभी संबंधित पक्षों से एक साथ आने तथा ‘न्यायिक विकल्प से भी’ मसले का हल करने का आह्वान किया.

हालांकि आरएसएस ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए. आरएसएस महासचिव सुरेश भैयाजी जोशी ने एक बयान में कहा कि सबरीमाला देवस्थानम के संबंध में हालिया फैसले पर पूरे देश से प्रतिक्रियाएं आयी हैं.

संघ ने कहा था कि हम भारत में श्रद्धालुओं द्वारा विभिन्न मंदिरों में अपनायी जा रही परंपराओं का सम्मान करते हैं और हमें माननीय उच्चतम न्यायालय का भी सम्मान करना होगा. संघ ने जोर दिया था कि यह एक स्थानीय मंदिर परंपरा और विश्वास का मुद्दा है जिससे महिलाओं सहित लाखों भक्तों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं.

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संघ प्रमुख ने विजयदशमी के मौके पर कहा कि राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के हैं. किसी भी मार्ग से बने लेकिन उनका मंदिर बनना चाहिए. सरकार को इसके लिए कानून लाना चाहिए. लोग कहते हैं कि इनकी सत्ता है फिर भी मंदिर क्यों नहीं बना, वोटर सिर्फ एक ही दिन का राजा रहता है.

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