विभिन्न धर्मों की महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्यीय बेंच 10 दिन में सुनवाई करेगी. चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने आज मंगलवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि 9 जजों की बेंच इस मामले को 10 दिनों से ज्यादा नहीं सुनेगी.
दरअसल, तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के वकील एक साथ बैठते हैं, लेकिन बेंच द्वारा विचार किए जाने वाले सवालों पर आम सहमति नहीं बना पा रहे हैं.
केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देने की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कई धर्मों की महिलाओं के साथ भेदभाव हो रहा है. हम सभी मामले पर विचार करेंगे. इसके बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय बेंच ने 3:2 के फैसले से पूरे मामले को 9 सदस्यीय बेंच को फैसला सुनाया था.
60 याचिकाओं पर सुनवाई
अब 9 सदस्यीय बेंच सबरीमाला समेत सभी धार्मिक स्थान पर महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव पर विचार करेगी. चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय पीठ 60 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
पीठ में जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस एम एम शांतनगौडर, जस्टिस एस ए नजीर, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं.
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आपस में बात करेंः सुप्रीम कोर्ट
13 जनवरी को सुनवाई के दौरान सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा के मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने कहा था कि इस मामले की सुनवाई के लिए सभी पक्षों के वकील आपस में बात करें . इसके लिए सभी पक्षों के वकीलों को 3 हफ्ते का समय दिया.
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9 जजों की बेंच 'आस्था बनाम अधिकार' से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई कर रही है जिसमें कई धर्मों से जुड़ी आस्थाओं पर भी सुनवाई की जाएगी.