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नागपुर और सिकंदराबाद के बीच ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने में भारत की मदद करेगा रूस

रूस ने भारत को दिसंबर 2015 के दौरान तकनीकी सहयोग देने का वायदा किया था. इसके लिए दोनों देशों के बीच एमओयू साइन हुआ था. समझौता ज्ञापन में आपसी सहयोग के कई क्षेत्रों की पहचान की गई थी. रूस ने भारत में हाई स्पीड रेल में सहयोग देने का वायदा किया था.

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ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने में भारत की मदद करेगा रूस
ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने में भारत की मदद करेगा रूस

भारत के पुराने मित्र देश रूस ने भारतीय रेलवे की रफ्तार बढ़ाने में मदद देने का भरोसा दिया है. इस मामले में दोनों देशों के बीच में नागपुर सिकंदराबाद रेलवे कॉरिडोर में ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने को लेकर अध्ययन करने के मामले में सहमति बनी है. इस प्रोटोकॉल के तहत नागपुर-सिकंदराबाद के बीच रेल गाड़ियों की स्पीड बढ़ाकर 200 किलोमीटर प्रति घंटे तक किए जाने की योजना है.

रूस इस मामले में भारत को तकनीकी सलाह देगा, साथ ही साथ नागपुर और सिकंदराबाद के बीच हाई स्पीड कॉरिडोर में रूस की रेलवे भारतीय रेलवे के साथ मिलकर बराबर भागीदारी पर सहमत हो गई है. इसके लिए रूस भारत की वित्तीय मदद भी करेगा. कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि भारत का सामरिक मित्र रूस अब भारतीय रेलवे की रफ्तार बढ़ाने में भी मदद करेगा.

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रूस ने भारत को दिसंबर 2015 के दौरान तकनीकी सहयोग देने का वायदा किया था. इसके लिए दोनों देशों के बीच एमओयू साइन हुआ था. समझौता ज्ञापन में आपसी सहयोग के कई क्षेत्रों की पहचान की गई थी. रूस ने भारत में हाई स्पीड रेल में सहयोग देने का वायदा किया था. इसी के साथ रेलों की गति 107 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ाने के लिए भारतीय रेलवे की मौजूदा लाइनों का आधुनिकीकरण का भी वादा किया गया था.

रूस ने सैटेलाइट नेविगेशन और डिजिटल संचार माध्यमों पर आधारित आधुनिक नियंत्रण एवं सुरक्षा संबंधित प्रणालियों के मामले में भारतीय रेलवे का पूरा सहयोग देने को कहा था. इसके अलावा भारत और रूस के बीच में रोलिंग स्टॉक को लेकर तकनीकी सहयोग की सहमति भी बनी थी. दोनों देशों ने परिवहन सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के साथ-साथ स्टेशनों का पुनर्विकास करने की बात भी कही थी.

दुनिया की सबसे लंबी रेल लाइन ट्रांस साइबेरियन रेलवे चलाने का अनुभव रूस को है. ट्रांस साइबेरियन रेलवे ऐसी जगहों से होकर गुजरती है, जो बियाबान है और भौगोलिक दृष्टि से काफी कठिन है. ऐसे में इस रेलवे को दुनिया का आश्चर्य ही माना जाता है. रूस के पास तमाम तकनीकी जानकारियां हैं, जिनको वह भारतीय रेलवे के साथ साझा कर सकता है. इससे जहां एक तरफ भारतीय रेलवे को सस्ती कीमत पर तकनीक मिल पाएगी, तो वहीं दूसरी तरफ भारत के मित्र देश रूस को एक बड़ा बाजार. इस तरह दोनों ही देशों के लिए यह सहयोग मुनाफे का सौदा होगा.

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