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भागवत ने एकजुटता की अपील की, कहा कि सभी धर्मों के लोग हमलावरों से लड़े हैं

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा, 'विभिन्न धर्म, जाति और भाषा होने के बावजूद देश के लोग बाहरी हमलावरों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े रहें, क्योंकि ‘हमारे पूर्वज एक थे.’

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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा, 'विभिन्न धर्म, जाति और भाषा होने के बावजूद देश के लोग बाहरी हमलावरों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े रहें, क्योंकि ‘हमारे पूर्वज एक थे.’

उन्होंने कहा, 'हम सभी भारत माता के पुत्र हैं और विभिन्न संस्कृति, जाति और धर्म होने के बजाय अनंतकाल से साथ में रह रहे हैं.' इतिहास से एक उदाहरण लेते हुए भागवत ने राणा सांगा और बाबर के बीच 1527 के खानवा के युद्ध का जिक्र किया तथा कहा कि यह युद्ध दुनिया में मील का पत्थर था. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि सांगा के योद्धा हसन खान मेवाती ने बाबर की ओर से अपनी सेना में धार्मिक आधार पर शामिल होने की पेशकश ठुकरा दी थी और वह भारत मात्रा के पुत्र थे.

उन्होंने बताया, 'हसन ने कहा था कि उसकी भाषा, जाति और धर्म भले ही बाबर जैसी हो सकती है, लेकिन वह सबसे पहले पहले भारतीय है और भारत माता का पुत्र है.' उन्होंने लोगों से तुच्छ मुद्दों में शामिल हुए बगैर एकजुट रहने की अपील की. उन्होंने लोगों से अपील की, 'छोटी-छोटी बातों को लेकर आपस में नहीं लड़ना, एक साथ खड़े रहो, देश को खड़ा करो, एकता की जय बोलो, सारी दुनिया को एकता सिखाइए.'

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भागवत ने कहा, 'हम भारत माता के पुत्र हैं, हम परमभागवत पुत्र हैं और हमारे पूर्वज एक थे.' वह यहां राणा सांगा की एक पट्टिका का अनावरण करने के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, 'बुलंद दरवाजे से बड़ा स्मारक यहां खड़ा है खानवा में, जो जवाब देगा कि भारत यहां खड़ा है एकता के साथ.' उन्होंने कहा कि भारत के पास विश्व को दिशानिर्देशित करने की शक्ति है.

भागवत ने कहा, 'दीया तले अंधेरा होता है, सूरज तले अंधेरा नहीं होता. हमारा राष्ट्र सूरज के जैसा है जो दुनिया को उर्जा देता है. यह हमारी संस्कृति का प्रसाद है और प्रसाद देश दुनिया में हर एक तक पहुंचना चाहिए.' खानवा में स्मारक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'सीकरी दरवाजा यह बताता है कि हम एक थे, हम एक हैं और हमारा धर्म, जाति या भाषा चाहे जो कुछ हो हम एक बने रहेंगे.' उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सांगा और उनकी सेना हार गई, लेकिन इसने जाहिर कर दिया कि भारत एक है और प्रत्येक व्यक्ति साहस दिखाते हुए अपना बलिदान देने के लिए तैयार है जो पहला धर्म है.

उन्होंने अन्य योद्धाओं को याद करते हुए कहा कि चाहे महाराष्ट्र में शिवाजी हों या अयोध्या में संत, प्रत्येक देशभक्त का एक जवाब है कि हम ‘भारत पुत्र’ हैं और धर्म एवं भाषा अपनी जगह है, मुझे बदलने की कोशिश नहीं करें.

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इससे पहले लोगों को संबोधित करते हुए धरोहर एवं संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने कहा कि राजस्थान सरकार ने राणा सांगा स्मृति बनाने के लिए डेढ़ करोड़ रूपये आवंटित किये है. उन्होंने बताया कि बीजेपी सरकार ने राज्य के अलग-अलग हिस्सों में इस तरह के प्रसिद्ध स्मारकों के जीर्णोद्धार के लिए 37 बड़ी परियोजनाएं भी आवंटित की हैं.

इनपुट: भाषा

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