राष्ट्र सेविका समिति ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर अपनी कार्यकारिणी की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया है. प्रस्ताव में कहा गया है कि दुनिया के सभी देशों में वहां के हर नागरिक के लिए एक जैसे कानून होते हैं तो भारत में भी सभी नागरिकों के लिए एक जैसे कानून होने चाहिए.
प्रस्ताव में कहा गया गया, 'भारत के आजाद होते ही यहां का प्रबुद्ध वर्ग समान नागरिक संहिता की मांग करता रहा है. 1947 में राष्ट्र सेविका समिति में भारत की एकात्मकता को चुनौती देने वाले इस फैसले पर अपना असहमति पत्र सरकार को सौंपा था. समान नागरिक संहित का विषय सदैव उसके चिंतन में रहा है.
समिति ने शाहबानो केस का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस केस के अलावा तीन और मामलों में केंद्र सरकार को समान नागरिक संहिता बनाने की सलाह दी है. लेकिन दुर्भाग्य से कट्टरपंथियों के दुराग्रह के कारण और मुस्लिम वोट बैाक की मृगमरीचिका के चलते ये सभ सरकारें संविधन, न्यायपालिका और मानवता की अवहेलना करती रही हैं.