5 राज्यों में विधानसभा होने में कुछ ही समय बचा है कि एक बार फिर राम मंदिर निर्माण का मुद्दा राजनीति के केंद्र में आ गया है. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर कहा है कि केंद्र सरकार को कानून बनाकर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करना चाहिए. इस बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं.
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि चुनाव आते ही BJP को 'मंदिरीटिस' नाम की बीमारी हो जाती है. अब ऐसा ही उन्हें (मोहन भागवत) को हो गया है. ये सिर्फ पांच राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव की वजह से हो रहा है.
6 दिसंबर से पहले आए फैसलाः साक्षी महाराज
भागवत के बयान पर बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने कहा, 'कोटी-कोटी हिंदू की भावना के आधार पर मोहन भागवत बोलते हैं. मैं भी इस बात को कहता हूं कि अक्टूबर के अंत में कोर्ट सुनवाई करने वाला है. 6 दिसंबर से पहले इसका निर्णय आना चाहिए अगर इससे पहले निर्णय नहीं आता तो हम प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह करेंगे कि तीन तलाक की तरह अध्यादेश लाएं और अयोध्या में राम मंदिर बनाएं.'
उन्होंने आगे कहा, '2019 अभी दूर है. इंतजार कीजिए उससे पहले राम मंदिर का निर्माण प्रारंभ हो जाएगा. चाहे सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हो या अध्यादेश के जरिए राम मंदिर का निर्माण जरूर होगा. मैं अगर मगर मैं विश्वास नहीं करता हूं. मेरा मत है कि अयोध्या में राम का मंदिर का निर्माण 2019 में होने लगेगा.'
सबरीमाला मामले पर मोहन भागवत के बयान पर साक्षी महाराज का कहना है कि वह उनके बयान पर कोई कमेंट नहीं करेंगे, लेकिन भारत संविधान से चलेगा. संविधान की परंपराओं का भी निर्वहन होना चाहिए और धार्मिक परंपराओं का भी निर्वहन होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट इसमें अपने स्तर पर निर्णय करेगा.
अर्बन नक्सल के मुद्दे पर साक्षी महाराज का कहना कि नक्सलवाद तो चाहे कोई भी हो वह समाज के लिए अच्छा नहीं है. रोक लगनी चाहिए वह खत्म होना चाहिए. नक्सलवाद को हम ठीक नहीं मानते हैं.
जेडीयू बोली- मानेंगे कोर्ट का फैसला
कांग्रेस के अलावा बिहार में बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू ने भी इस पर बयान दिया है. जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि राम मंदिर का मामला अभी कोर्ट में चल रहा है, इसलिए सभी को फैसले का इंतजार करना चाहिए. सभी को कोर्ट का ही फैसला स्वीकार होगा. उन्होंने ये भी कहा कि एनडीए के एजेंडे में राम मंदिर का मुद्दा नहीं है.
केसी त्यागी बोले कि राम मंदिर पर हमारी पार्टी की राय साफ है कि ये या कोर्ट के फैसले बने या फिर आम सहमति से, लेकिन आम सहमति बन नहीं पाई हैं इसलिए सबको कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए चाहे किसी के पक्ष में आये.
इसके अलावा उन्होंने सबरीमाला के मुद्दे पर संघ प्रमुख द्वारा दिए गए बयान पर भी अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि सबरीमाला में सुप्रीम कोर्ट का फैसला जो आया है, उसका सम्मान सभी को करना चाहिए.
त्यागी ने कहा कि कुछ दिन पहले मोहन भागवत ने दिल्ली में कहा था कि गुरू गोलवलकर ने जो कुछ संघ के संदर्भ में कहा था वो उस समय की परिस्थितियों के हिसाब से कहा था, आज की परिस्तिथियों में ठीक नहीं है. उसी प्रकार सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश की इजाज़त नहीं होना भी रूढ़िवादी परंपरा है. अब सबरीमाला पर जो सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसला आया हैं उसको सबको मानना चाहिए.
राम मंदिर निर्माण पर क्या बोले भागवत?
दरअसल, संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के हैं. किसी भी मार्ग से बने लेकिन उनका मंदिर बनना चाहिए. सरकार को इसके लिए कानून लाना चाहिए. अगर राम मंदिर बनता है तो देश में सद्भावना का माहौल बनेगा.