खुद को बहादुर शाह जफ़र का वंशज बताने वाले याकूब हबीबुद्दीन तकी ने हिंदी फिल्म 'राम की जन्मभूमि' की रिलीज को रोकने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है. इस याचिका में फिल्म पर पूरे तरीके से बैन लगाने की मांग की गई है. इसी पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के जस्टिस विभू बाखरू ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को जिंदा रखना है तो लोगों को सहनशील बनना ही होगा.
हाईकोर्ट की टिप्पणी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि तकी ने अपनी याचिका में कहा है कि इस फिल्म में सीधे तौर पर न सिर्फ उन्हें बल्कि उनके पूर्वजों को भी निशाना बनाया गया है. तकी ने अपनी याचिका में इस फिल्म से देश की एकता और अखंडता को भी ख़तरा बताया है, साथ ही उनका ये भी मानना है कि इस फिल्म के रिलीज होने से देश में सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है.
जस्टिस विभू बाखरू ने सुनवाई के दौरान कहा कि चाहे सही हो, या गलत हो, लेकिन विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बचाने के लिए जरूरी है कि लोग सहनशील बनें. तकी ने फिल्म के निर्माता और केंद्र को फिल्म रिलीज पर रोकने का निर्देश देने के लिए याचिका दायर की है. 'राम की जन्मभूमि' नाम की ये फ़िल्म शुक्रवार 29 मार्च को रिलीज होनी है.
याकूब हबीबुद्दीन तकी की अर्जी पर उनके वकील की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि याचिका में यह नहीं बताया गया है कि फिल्म के किस हिस्से में और उसके कौन से पूर्वजों का अपमान किया गया है, या फिर किन दृश्यों से देश में सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है.
कोर्ट ने यहां तक कहा कि ऐसा लगता है कि यह याचिका पूरी तरह से फिल्म के शीर्षक पर आधारित है. कोर्ट ने तकी को फिल्म के विवादित दृश्यों से जुड़ी जानकारी के साथ संशोधित याचिका दायर करने का निर्देश देते हुए सुनवाई गरुवार तक के लिए टाल दी है.
बता दें कि फिल्म राम की जन्मभूमि में मनोज जोशी और गोविंद नामदेव नजर आएंगे. फिल्म , राम मंदिर और हलाला के विवादास्पद मुद्दे से संबंधित है. इस फिल्म को लेकर काफी लंबे समय से सोशल मीडिया पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आती रही हैं.