हिंदी पर जारी सियासी घमासान के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बयान दिया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि भारत में अनेक भाषाएं उसकी कमजोरी नहीं है. राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में 23 हिंदी भाषाओं का भी जिक्र किया है.
राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में उड़िया, मराठी, कन्नड़, हिंदी, गुजराती, बांग्ला, अंग्रेजी, उर्दू, कोंकणी, मलयालम, तेलुगू, असामी, बोडो, डोगरी, मैथिली, नेपाली, संस्कृत, कश्मीरी, सिंधी, संथाली और मणिपुरी का जिक्र किया है.
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस के मौके पर कहा था कि हिंदी हमारी राजभाषा है, हमारे यहां कई भाषाएं बोली जाती हैं. लेकिन एक ऐसी भाषा होनी चाहिए जो दुनिया में देश का नाम बुलंद करे और पहचान को आगे बढ़ाए और हिंदी में ये सभी खूबियां हैं. अमित शाह के इस बयान पर विवाद हो गया.
गृहमंत्री अमित शाह के हिंदी पर दिए गए बयान के बाद प्रतिक्रियाओं का सिलसिला थम नहीं रहा है. देश का एक बड़ा तबका हिंदी विरोध में खड़ा है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी दक्षिण भारत के कई नेताओं ने शाह के बयान के खिलाफ विरोध जताया है.
🇮🇳Oriya 🇮🇳 Marathi
🇮🇳 Kannada 🇮🇳Hindi 🇮🇳Tamil
🇮🇳English 🇮🇳Gujarati
🇮🇳Bengali 🇮🇳Urdu 🇮🇳Punjabi 🇮🇳 Konkani 🇮🇳Malayalam
🇮🇳Telugu 🇮🇳Assamese
🇮🇳Bodo 🇮🇳Dogri 🇮🇳Maithili 🇮🇳Nepali 🇮🇳Sanskrit
🇮🇳Kashmiri 🇮🇳Sindhi
🇮🇳Santhali 🇮🇳Manipuri...
India’s many languages are not her weakness.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 16, 2019
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि हिंदी, हिंदू और हिंदुत्व से कहीं बड़ा है भारत. उन्होंने कहा, 'हिंदी हर भारतीय की मातृभाषा नहीं है. क्या आप इस देश की कई मातृभाषाएं होने की विविधता और खूबसूरती की प्रशंसा करने की कोशिश करेंगे.' यही नहीं, उन्होंने आगे कहा कि संविधान का अनुच्छेद 29 हर भारतीय को अपनी अलग भाषा और संस्कृति का अधिकार प्रदान करता है.
सलमान खुर्शीद ने कहा था कि अगर हम एक ही भाषा लागू करना चाहेंगे तो संभव है कि लोगों को ये बात स्वीकार न हो, और दरारें पड़ने लगे. वहीं, अमित शाह ने जो कहा उसका जेडीयू ने अपने अंदाज में समर्थन किया. जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि हम हिंदी को थोपना नहीं चाहते मगर उसकी स्वीकार्यता बढ़ाना चाहते हैं.
वहीं सोमवार को ट्विटर पर एक वीडियो जारी करते हुए कमल हासन ने कहा कि कोई शाह, सुल्तान या सम्राट अचानक वादा नहीं तोड़ सकता है. 1950 में जब भारत गणतंत्र बना तो ये वादा किया गया था कि हर क्षेत्र की भाषा और कल्चर का सम्मान किया जाएगा और उन्हें सुरक्षित रखा जाएगा.