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राफेल डील विवाद: जानें राहुल के सवाल का संसद में निर्मला ने क्या दिया जवाब

निर्मला सीतारमण ने बताया कि भारत फ्रांस के बीच राफेल डील में दसॉ ने एचएएल से निर्मित होने वाले लड़ाकू विमान की गारंटी लेने से मना कर दिया था. वहीं मोदी सरकार की फ्रांस से डील के दौरान दसॉ का कहना था कि एचएएल के साथ मिलकर भारत में एक लड़ाकू विमान बनाने में उसे ढाई गुना अधिक समय लगता जिसके चलते उसे किसी अन्य पार्टनर की तलाश थी और उसने इस पार्टनर को चुनने के लिए देश की ऑफसेट नीति का सहारा लिया.

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लोकसभा में जवाब देतीं रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण (फोटो- एएनआई)
लोकसभा में जवाब देतीं रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण (फोटो- एएनआई)

राफेल सौदे पर जारी कांग्रेस और बीजेपी के बीच जंग में जहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सत्ता पक्ष पर 3 सवाल दागते हुए मांग की कि केन्द्र सरकार जल्द से जल्द इन सवालों का जवाब देकर राफेल सौदे पर अपना पक्ष स्पष्ट करे. राहुल गांधी के पूछे सवालों पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में एक-एक कर जवाब दिए. जानिए क्या थे राहुल गांधी के राफेल सौदे पर सवाल और रक्षा मंत्री ने क्या जवाब दिए.

राहुल का सवाल नं 1: क्या है राफेल विमान की अंतिम कीमत?

निर्मला का जवाब: राहुल के पहले सवाल के जवाब में निर्मला सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस दावा कर रही है कि उसने राफेल विमान की बेसिक कीमत 737 करोड़ रुपये तय की थी. वहीं 2016 में एनडीए सरकार की फ्रांस से हुई डील के मुताबिक देश को राफेल विमान कांग्रेस की इस कीमत से 9 फीसदी सस्ती दर पर मिला है. हालांकि लोकसभा में जवाब देते हुए निर्मला ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने अलग-अलग समय में खुद द्वारा की जा रही राफेल डील में विमान की कीमत का अलग-अलग आकलन दिया है.

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राहुल का सवाल नं 2:  क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पेरिस में समझौता करने से पहले कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की इजाजत ली थी.

निर्मला का जवाब: रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश के लिए एयरफोर्स को मजबूत करने का काम बेहद जरूरी था. जहां बीते एक दशक से लंबे समय में पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान ने अपने-अपने एयरफोर्स को ताकतवर बनाने का काम किया है वहीं भारत में पूर्व की कांग्रेस सरकार ने 10 साल के कार्यकाल में एक लड़ाकू विमान की डील को अंतिम निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा पाए. वहीं, अब जब केन्द्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को वरीयता देते हुए डील की है तो विपक्ष में बैठी कांग्रेस डील पर कीचड़ उछालने का काम कर रही है.

राहुल का सवाल नं 3: प्रधानमंत्री ने रक्षा मंत्रालय की कंपनी एचएएल को नजरअंदाज करते हुए अनिल अंबनी की कंपनी को ऑफसेट क्लॉज के तहत पार्टनर क्यों बनाया?

निर्मला का जवाब: रक्षा मंत्री ने कहा कि आज कांग्रेस सरकार एचएएल के लिए घड़ियालू आंसू बहाने का काम कर रही है जबकि उनके कार्यकाल के दौरान संसद की स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट कहती है कि एचएएल को उबारने के लिए केन्द्र सरकार ने 52 बार मदद पहुंचाने का काम किया है. निर्मला ने बताया कि भारत फ्रांस के बीच राफेल डील में दसॉ ने एचएएल से निर्मित होने वाले लड़ाकू विमान की गारंटी लेने से मना कर दिया था. वहीं मोदी सरकार की फ्रांस से डील के दौरान दसॉ का कहना था कि एचएएल के साथ मिलकर भारत में एक लड़ाकू विमान बनाने में उसे ढाई गुना अधिक समय लगता जिसके चलते उसे किसी अन्य पार्टनर की तलाश थी और उसने इस पार्टनर को चुनने के लिए देश की ऑफसेट नीति का सहारा लिया. गौरतलब है कि निर्मला ने कहा कि देश की इस ऑफसेट पार्टनर नीति को पूर्व की यूपीए सरकार ने 2013 में बनाया था. 

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