कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को राफेल डील में घोटाले का आरोप लगाकर कैग में पहुंचा. इस प्रतिनिधिमंडल में रणदीप सुरजेवाला, आनंद शर्मा, अशोक गहलोत, मोतीलाल वोहरा, जयराम रमेश, अहमद पटेल, राजीव शुक्ला, मुकुल वासनिक शामिल थे.
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत पार्टी के तमाम प्रवक्ता इन दिनों केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा पर राफेल डील में अनियमितताओं के आरोपों को लेकर हमलावर हैं. कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को फिर से इस मामले में जांच की मांग की और कैग के दफ्तर पहुंचा.
Congress delegation reaches #CAG office in Delhi demanding probe in #Rafale deal ... pic.twitter.com/KN8pwF5SZN
— Supriya Bhardwaj (@Supriya23bh) September 19, 2018
मंगलवार को देश के पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी ने भी राफेल मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार को घेरा. एंटनी ने सवाल उठाया कि 136 राफेल खरीदने का प्रस्ताव था, तो इसे घटाकर 36 क्यों किया गया?
एंटनी ने कहा, हमारी सरकार के अंतिम दिनों में राफेल करार लगभग पूरा हो चुका था. 2015 में जब एनडीए की सरकार आई, तो 10 अप्रैल 2015 को 36 राफेल विमान खरीदने का एकतरफा फैसला लिया गया. जब एयरफोर्स ने 126 विमान मांगे थे, तो प्रधानमंत्री ने इसे घटाकर 36 क्यों किया, इसका जवाब देना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि हमारी मांग पहले दिन से स्पष्ट है कि संयुक्त संसदीय समिति इस मामले की जांच करे. सीवीसी का संवैधानिक दायित्व है कि वो पूरे मामले के कागजात मंगवाएं और जांच कर पूरे मामले की जानकारी संसद में रखें.
एंटनी ने कहा कि यूपीए शासनकाल के दौरान, एचएएल मुनाफा कमाने वाली कंपनी थी. मोदी सरकार के समय इतिहास में पहली बार एचएएल ने अलग-अलग बैंकों से लगभग 1000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है.