दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़े मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन कुमार के खिलाफ औपचारिक तौर पर आरोप तय किए जाने की प्रकिया को 28 मई तक स्थगित कर दिया.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुनीता गुप्ता ने मामले की सुनवाई इसलिए स्थगित कर दी क्योंकि आरोपियों में से एक कृशन खोखर अस्वस्थ था और अदालत के समक्ष उपस्थित नहीं हो सका. आरोपों का औपचारिक तौर पर तय किया जाना मामले में मुकदमे की सुनवाई का रास्ता साफ करता है और हर अभियुक्त की उपस्थिति जरूरी होती है क्योंकि उसे अपनी इच्छा जाहिर करनी होती है कि क्या वह आरोपों को स्वीकार करेगा या आरोपों का विरोध करेगा.
अदालत ने प्रथम दृष्टया सबूत पाने के बाद गत 15 मई को हत्या और दो समुदायों के बीच शत्रुता फैलाने से संबंधित सिख विरोधी दंगे से जुड़े एक मामले में कांग्रेस नेता के खिलाफ आरोपों को तय किए जाने का आदेश दिया था. उसने आईपीसी की धारा 302 (हत्या), धारा 395 (डकैती), 427, धारा 153 ए (दो समुदायों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) के तहत आरोप तय करने की अनुमति दी थी.
कुमार के अतिरिक्त अन्य अभियुक्तों में बलवान खोखर, कृशन खोखर, महेंद्र यादव, कैप्टन भागमल और गिरिधारी लाल शामिल हैं. सीबीआई ने कुमार पर दंगे के दौरान खास समुदाय के लोगों के खिलाफ भड़काने का आरोप लगाया था. इसके बाद दिल्ली कैंट इलाके में पांच लोगों की हत्या कर दी गई थी.