पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर भारत की एयरस्ट्राइक दो महीने से भी कम वक्त में वोटरों को प्रभावित करने वाले मुद्दे रडार से गायब हो गए. इंडिया टुडे के सर्वे से ये सामने आया है. इसकी जगह देशभर में बेरोजगारी सबसे बड़े चुनावी मुद्दे के तौर पर उभरा है.
इंडिया टुडे के पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज (PSE) के लिए एक्सिस-माई-इंडिया की ओर से कराए गए सर्वे के मुताबिक देश में सबसे अधिक 21% वोटर बेरोजगारी को 2019 लोकसभा चुनाव के लिए अहम मुद्दा मानते हैं. इसके बाद 20% पीने के पानी, 9% साफ़-सफ़ाई और 8% महंगाई को अहम मुद्दों के तौर पर गिनाते हैं. 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना की ओर से की गई एयरस्ट्राइक क्या वोटिंग के फैसले को प्रभावित करेगी, इस सवाल के जवाब में प्रतिभागियों से 0% प्रतिक्रिया मिली.

पार्टी प्रदर्शन या पीएम उम्मीदवार
PSE के आंकड़े बताते हैं कि 39% वोट अपना वोट देने से पहले पार्टी के प्रदर्शन का आकलन करेंगे. इसके बाद दूसरे नंबर पर 16% वोटरों ने प्रधानमंत्री के उम्मीदवार को अहम बताया. पार्टी विचारधारा को 13%, स्थानीय उम्मीदवार को 12% और स्थानीय उम्मीदवार के काम को 11% प्रतिभागियों ने वोटिंग को प्रभावित करने वाला अहम कारण बताया. हैरानी की बात है कि एयरस्ट्राइक, राष्ट्रवाद, किए गए वादों, मेनिफेस्टो और बेहतर कैम्पेन (प्रचार अभियान) को सिर्फ 1-1% प्रतिभागियों ने ही अहम फैक्टर बताया.
प्रधानमंत्री के लिए कौन पसंद?
अप्रैल PSE के आंकड़े बताते हैं कि अगले प्रधानमंत्री के लिए देश भर में 53% वोटर नरेंद्र मोदी को अपनी पसंद बता रहे हैं. वहीं राहुल गांधी को 35% वोटर देश का अगला प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं.

अगर पिछले PSE की बात की जाए तो मोदी की लोकप्रियता अक्टूबर में 46%, जनवरी में 48% और मार्च में 52% थी. दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की लोकप्रियता मार्च में 33% और अक्टूबर 2018 में 32% थी.

मोदी सरकार के कामकाज से 48% संतुष्ट, 30% असंतुष्ट
ताजा PSE सर्वे के मुताबिक मोदी सरकार के कामकाज से देश भर में 48% वोटर संतुष्ट हैं. मार्च सर्वे में भी ये आंक़ड़ा 48% ही था. जबकि जनवरी में 43% और पिछले साल अक्टूबर में 44% वोटर संतुष्ट थे.
मोदी सरकार के कामकाज से असंतुष्ट वोटरों की बात की जाए तो ये आंकड़ा मार्च PSE के समान ही ताजा PSE में भी 30% बना हुआ है. जनवरी PSE में 32% वोटर मोदी सरकार के कामकाज से असंतुष्ट थे.

राहुल गांधी के ‘न्याय’ की पहुंच
अप्रैल PSE सर्वे से सामने आया कि देशभर में दो हफ्ते से भी कम वक्त में 52% वोटर राहुल गांधी की ओर से किए गए न्याय (NYAY) के वादे से अवगत हो गए. 25 मार्च को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एलान किया था कि अगर उनकी पार्टी केंद्र की सत्ता में आती है तो देश के सबसे गरीब 20% घरों को न्यूनतम आय योजना (NYAY) के तहत 72,000 रुपए सालाना की आय सुनिश्चित की जाएगी.
जिन लोगों ने ‘न्याय’ के बारे में सुना है उनमें से 32% वोटर आश्वस्त दिखे कि अगर कांग्रेस केंद्र की सत्ता में आती है तो ये पार्टी ‘न्याय’ को अमली जामा पहनाने में कामयाब रहेगी. PSE के मुताबिक 51% वोटरों का मानना है कि योजना को अमल में नहीं लाया जा सकेगा. वहीं 17% वोटर इस सवाल पर स्पष्ट राय नहीं जता सके.
अप्रैल PSE सर्वे के मुताबिक 28% प्रतिभागियों ने माना कि राहुल गांधी के ‘न्याय’ का वादा उनके वोट देने के फैसले को प्रभावित करेगा. 53% वोटरों ने इस सवाल का जवाब में कहा कि इससे उनका वोटिंग का फैसला अप्रभावित रहेगा. वहीं 19% प्रतिभागी इस पर कोई साफ जवाब नहीं दे सके.
मेथेडोलॉजी
PSE सर्वे देशभर में टेलीफोन पर लिए गए साक्षात्कारों पर आधारित है. इसमें 175,544 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.