किसानों के दर्द को देर-सवेर दिल्ली ने सुन लिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को किसानों के लिए 33 फीसदी फसल की बर्बादी पर पहले के मुकाबले डेढ़ गुना अधिक मुआवजे का ऐलान किया. बेमौसम बारिश से खेतों में फसल बर्बाद हो चुके हैं, लेकिन किसनों के दिल का दर्द अभी हरा है और यकीनन मोदी सरकार का यह ऐलान जख्म पर मरहम के समान है.
प्रधानमंत्री की घोषणा के मुताबिक, न सिर्फ किसानों को मिलने वाली मौजूदा सहायता राशि में 50 फीसदी वृद्धि की गई है, बल्कि प्रचलित मानकों से इतर अब किसानों को 33 फीसदी फसल बर्बाद होने पर भी सब्सिडी मिलेगी. अभी तक 50 फीसदी या उससे अधिक फसल बर्बाद होने पर ही सब्सिडी मिलने का प्रावधान था.
मुद्रा बैंक की शुरुआत
पीएम मोदी ने बुधवार को 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी के साथ छोटे उद्यमों को आसान दरों पर ऋण उपलब्ध करवाने और सूक्ष्म वित्तीय संस्थाओं पर नियंत्रण व उनके विकास के उद्देश्य से 'मुद्रा बैंक' की शुरुआत की. यह देश की उत्पादकता में वृद्धि करेगा और रोजगार के अधिक अवसरों का सृजन करेगा. अधिकारियों ने बताया कि इस योजना का लक्ष्य देश में चल रहे 5.8 करोड़ लघु उद्योगों को लाभ पहुंचाना है, जो 12 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया करवाते हैं.
प्रधानमंत्री ने माइक्रो यूनिट्स डवेलपमेंट एंड रीफाइनेंस एजेंसी- 'मुद्रा' के उद्घाटन अवसर पर कहा, 'जिनके बैंक खाते नहीं थे, जनधन योजना के तहत ऐसे लोगों के खाते खोले गए. अब जिनके पास वित्तीय संसाधन नहीं हैं, उनका वित्तपोषण करने की जरूरत है. मुद्रा इसी दिशा में हमारा नया प्रयास है.'
उन्होंने कहा, 'इस देश में करोड़ों ऐसे स्त्री-पुरुष हैं, जो लघु उद्योग चलाते हैं. देश की अर्थव्यवस्था में उनका बड़ा योगदान होने के बावजूद वे औपचारिक संस्थागत वित्त के दायरे से लगभग बाहर ही बने रहते हैं.' वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ऐसे सूक्ष्म और लघु उद्योग इकाइयों और उद्यमों की संस्थागत वित्त तक पहुंच से न केवल उद्यमियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा बल्कि यह उनके विकास और रोजगार को बढ़ाने में भी कारगर होगा.
12 करोड़ लोग छोटे उद्यमों से जुड़े
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 28 फरवरी को अपने बजट के भाषण में कहा था कि भारत में 5.77 करोड़ लघु उद्योग हैं, जिनमें से अधिकतर व्यक्तिगत प्रोपराइटरशिप में हैं. इन उद्यमियों को अगर औपचारिक ऋण व्यवस्था नहीं उपलब्ध कराई गई तो ये मुश्किल में पड़ सकते हैं.
बड़े उद्योगों द्वारा रोजगार के ज्यादा अवसर सृजित किए जाने संबंधी दृष्टिकोण का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'वास्तविकता पर नजर डालने से पता चलता है कि बड़े उद्योगों में सिर्फ 1.25 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है, जबकि देश के 12 करोड़ लोग छोटे उद्यमों में काम करते हैं.' पीएम ने कहा कि भारत में जहां बड़े उद्योगों को कई सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, वहीं स्वरोजगार में जुटे इन 5.75 करोड़ लोगों पर ध्यान देने की जरूरत है, जो मात्र 17,000 रुपये प्रति इकाई कर्ज के साथ 11 लाख करोड़ की राशि का इस्तेमाल करते हैं और 12 करोड़ भारतीयों को रोजगार उपलब्ध करवाते हैं. उन्होंने कहा कि इन तथ्यों के उजागर होने के बाद मुद्रा बैंक का विजन तैयार हुआ.
ईमान है गरीब की पूंजी
प्रधानमंत्री ने कहा कि गरीब की सबसे बड़ी पूंजी उसका ईमान है. उनके ईमान को पूंजी (मुद्रा) के साथ जोड़ने पर वह सफलता की कुंजी साबित होगा. महिला स्व-सहायता समूहों का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन ऋण लेने वालों में जो ईमानदारी और निष्ठा देखी गई है, वह किसी अन्य क्षेत्र में विरले ही दिखती है. प्रधानमंत्री ने कहा, 'एक वर्ष के भीतर हमारे स्थापित बैंक भी मुद्रा बैंक के मॉडल को अपना लेंगे.'
मुद्रा बैंक छोटे उद्यमों को ऋण देने के लिए पुनर्वित्त की व्यवस्था करेगा. छोटे उद्यमों को उनके उत्पादों के आधार पर तीन श्रेणियों- शिशु, किशोर और तरुण में बांटा गया है. स्थापना के शुरुआती दौर से गुजर रहे 'शिशु' श्रेणी के उद्यमों को 50,000 रुपये तक का, कुछ वर्षों से उत्पादन कर रहे 'किशोर' श्रेणी के उद्यमों को 50,000 से 5,00,000 रुपये तक का और 'तरुण' श्रेणी के स्थापित उद्यमों को 10,00,000 लाख रुपये तक का ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा.
इस अवसर पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा और भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर रघुराम राजन भी उपस्थित थे.
-इनपुट IANS से