चुनावों में उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश का चुनाव आयोग द्वारा पालन न होने को लेकर लगाई गई याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.
कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में पहले ही 25 सितंबर को आदेश जारी कर चुका है. अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं हो रहा है तो आप सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका लगा सकते हैं, लेकिन हाइकोर्ट को इस मामले में सुनवाई को कोई जरूरत नजर नहीं आती.
हाईकोर्ट ने कहा कि हमें नहीं लगता कि इस मामले में हमें हस्तक्षेप करना चाहिए. जबकि, इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जब अपना विस्तृत आदेश दे दिया है.
कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करना चुनाव आयोग और चुनाव लड़ रहे हर उम्मीदवार के लिए अनिवार्य है और अगर चुनाव आयोग की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है या फिर उम्मीदवार उसका उल्लंघन कर रहे हैं. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका लगाई जा सकती है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि चुनावों के दौरान आपराधिक रिकॉर्ड रखने वाले उम्मीदवारों को इसकी पूरी जानकारी सार्वजनिक करनी ही होगी और वह जिस पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं, उस पार्टी को भी अपने उम्मीदवार से जुड़ी हुई जानकारियां वेबसाइट पर डालनी है.
चुनाव आयोग को भी पार्टी और उम्मीदवार की तमाम जानकारियां और उसके आपराधिक रिकॉर्ड को लेकर अपनी वेबसाइट पर जानकारियां उपलब्ध करानी है. जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में इन तमाम चीजों को साफ कर दिया है तो फिर हाईकोर्ट इस पर कोई नया आदेश कैसे और क्यों जारी कर सकता है.
बीजेपी के अश्विनी उपाध्याय ने याचिका लगाई थी कि चुनाव आयोग ने अभी हाल ही में 5 राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन राजनीति का आपराधीकरण रोकने और पारदर्शिता लाने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का पालन कैसे होगा, इस पर कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है. इसलिए तत्काल आदेश जारी कर प्रत्येक प्रत्याशी के लिए अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों को सार्वजनिक करने संबंधी निर्देशों का पालन अनिवार्य किया जाए.