साल के आखिर में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में 25 सितंबर के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर सभी उम्मीदवारों को अपने आपराधिक रिकॉर्ड चुनाव आयोग और जनता के सामने रखना अनिवार्य है. लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका के तहत आरोप लगाया गया है कि चुनाव आयोग शीर्ष अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर रहा है.
बीजेपी के प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई है, जिसमें कहा गया है कि चुनाव आयोग 25 सितंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहा है. चुनाव आयोग ने पांच राज्यों के चुनावों की तो घोषणा कर दी है, लेकिन आपराधिक रिकॉर्ड को लेकर अभी भी पूरी जानकारी चुनाव आयोग की तरफ से नहीं दी गई है. अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि चुनावों में उम्मीदवारों को महज यह नहीं बताना होगा कि किस धारा के तहत उन पर मुकदमा चल रहा है, बल्कि यह भी बताना होगा कि वह धारा उनपर क्यों लगी है. मसलन यदि कोई प्रत्याशी धारा 302 लिखते है तो उसे यह भी बताना होगा की उसके ऊपर हत्या का मामला चल रहा है.
इस जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि यह तय होना चाहिए कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कम से कम तीन बार उम्मीदवार जो भी जानकारी दे रहा है, उसमें अपनी शैक्षिक योग्यता, चल अचल संपत्ति का विवरण और अपराधिक रिकॉर्ड के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए. दिल्ली हाई कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है और मंगलवार इस मामले में सुनवाई की उम्मीद है.
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश दे कि सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में आए आदेश का पालन तो हो ही, साथ ही इस मामले में उम्मीदवार की तरफ से रेडियो, टीवी या अखबार में जो भी सूचना चुनाव के मद्देनजर दी जा रही हो उसका 30 फीसदी उसके आपराधिक रिकॉर्ड, उसकी उम्र, संपत्ति को लेकर हो. मसलन अगर उम्मीदवार अपने बारे में 2 मिनट में पूरी जानकारी दे रहा है तो 36 सेकंड में उसे अपराधिक रिकॉर्ड, संपत्ति का ब्यौरा और उम्र बताने के लिए रखने होंगे. साथ ही ये पूरी जानकारी उम्मीदवार की तरफ से अपनी पार्टी को दी जाए, और पार्टी इसकी जानकारी अपनी वेबसाइट पर दे. पार्टी को इसकी पूरी जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी, और चुनाव आयोग को भी ये जानकारी अपनी वेबसाइट पर डालना जरूरी होगा.