'गीत राहुल का गाता हूं...' जी हां, इस वक्त कांग्रेस में हर कोई राहुल गांधी के गीत गा रहा है. पार्टी का छोटा कार्यकर्ता हो या बड़ा नेता, हर कोई बस राहुल बाबा का गुणगान कर रहा है. तारीफों के पुलों में कांग्रेसी बीजेपी की नैया डुबो रहे हैं. कर्नाटक में बीजेपी का किला ध्वस्त हुआ तो ध्वनि में सिर्फ राहुल गांधी ही सुनाई पड़ रहे हैं. कर्नाटक में बीजेपी ने मोदी को खेवैया बनाया, अब कांग्रेसी मोदी की खिल्ली उड़ा रहे हैं. बीजेपी चिंतन-मंथन में हैं और राहुल गांधी खुशफहमी में.
कर्नाटक में जीत का इंतजार था. मौका मिला और जय-जयकारी का चौका लगाने के लिए कांग्रेस में होड़ मच गयी. जिसकी जैसी सामर्थ्य, उसने उतने जोर से राहुल गांधी की जय में जय मिलाया. कर्नाटक में पार्टी की जीत का सेहरा सीधे-सीधे राहुल गांधी के सिर सजा दिया.
बोलती है मोदी की तूती बीजेपी में. सोचती होगी बीजेपी कि मोदी का नाम चुनावी बेड़ा पार लगा देगा लेकिन देश के भाग्य विधाता बने लोगों का भाग्य लिखने वाले मतदाताओं ने कर्नाटक को कांग्रेस के हाथ में दे दिया. बस राहुल राग गाने के लिए कांग्रेस को इससे ज्यादा क्या चाहिए?
मनमोहन ने भी राहुल को दिया श्रेय
बड़े नेता तो बड़े नेता, छोटे कार्यकर्ता भी सुभानअल्लाह. जिन कार्यकर्ताओं की पहुंच राहुल गांधी तक नहीं है, उन्होंने पोस्टर में ही राहुल को मिठाई खिलाकर अपनी निष्ठा जता दी और कांग्रेस ने जिन्हें सबसे बड़े सियासी ओहदे पर बिठाया, वो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी राहुल के नाम के आगे बिछते हुए दिखे.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते हैं कि कर्नाटक में मिली जीत का पूरा श्रेय राहुल गांधी को जाता है.
जीत कैसे मिली, क्यों मिली, किन मुद्दे पर मिली. कांग्रेस की छवि काम आई या बीजेपी का बंटाधार रंग लाया. कांग्रेस के पास इसपर सोचने की फुर्सत नहीं है. जीत मिली तो राहुल का करिश्मा है, बचा-खुचा सोनिया गांधी का.
भक्ति ऐसी कि मनमोहन, गांधी हो गए
हद तो सिद्दारमैया ने कर दी. कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. सूबे के दमदार नेता बताए जाते हैं. जमीनी आंकलन करने वाले बताते हैं कि जीत में इनका बड़ा रोल रहा. लेकिन राहुल-सोनिया के जय-जयकार का झंडा छोटा ना पड़ जाए, इस चक्कर में जुबान ऐसी फिसली कि मनमोहन सिंह को मनमोहन गांधी बना दिया. सिद्दारमैया ने कहा, 'थैंक्स टू सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मनमोहन गांधी.'
भ्रष्टाचार की मार से आहत कांग्रेस को कर्नाटक ने सियासी गर्मी से राहत दे दी. पूरी कांग्रेस राहुल के गुणगान में लग गयी, लेकिन राहुल पहुंच गए पंचकुला, पार्टी के एक कार्यक्रम में. कांग्रेस को इस खुशफहमी में जीने के लिए छोड़कर कि कर्नाटक की जीत पूरे देश में राहुल का समां बांधेगा.
राहुल की जयकार और मोदी पर प्रहार
जीत से भी और प्रचार के आंकड़ों से भी, कांग्रेस का हर व्यक्ति नरेंद्र मोदी को चिढ़ा रहा है. कर्नाटक के विजयरथ पर राहुल गांधी को बैठा रहा है. कर्नाटक में प्रचार नरेंद्र मोदी ने भी किया था, बीजेपी ने मोदी को मैदान में उतारा था. लेकिन राहुल गांधी ने मोदी के प्रचार को ऐसी टक्कर दी कि मोदी का मिशन धाराशायी हो गया.
दिल्ली और अहमदाबाद से बहुत दूर है बैंगलोर. लेकिन कमाल देखिए, कर्नाटक में मिले नए जनादेश के तार सीधे दिल्ली और अहमदाबाद से जुड़ रहे हैं. एक जगह राहुल गांधी हैं और दूसरी जगह नरेंद्र मोदी.
गुजरात विजय के रथ पर सवार नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक में चुनाव प्रचार तो बहुत कम किया, लेकिन जहां भी गए, निशाने पर सोनिया रहीं या राहुल. कभी-कभार मनमोहन सिंह. लेकिन बड़े फलक पर देखें तो कर्नाटक की रेस में मोदी से राहुल बाजी मार ले गए. कांग्रेस इसी बात पर मोदी को खारिज कर रही है.
राहुल हिट, मोदी फ्लॉप और सोनिया 'डब्बा बंद'
अगर चुनाव प्रचार पर नजर डालें तो राहुल गांधी ने कर्नाटक चुनाव में 9 रैलियां की, जिनमें 8 पर जीत मिली. वही नरेंद्र मोदी ने 4 सीटों पर प्रचार किया, जिसमें दो में बीजेपी जीती और दो में कांग्रेस. लेकिन सबसे बुरा तो सोनिया के प्रचार का हुआ. जिन तीन सीटों पर कांग्रेस का हाथ मजबूत करने गईं, उन तीनों पर बीजेपी बाजी मार ले गई. चूंकि सूबे में कांग्रेस को अपने दम पर बहुमत मिल गया, लिहाजा कांग्रेस राहुल और सोनिया की जयजयकार के साथ ही मोदी पर हाय-हाय मचाने लगी.
बीजेपी हार के बहाने ढूंढ रही है
पीएम पद के लिए उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं हुआ तो क्या हुआ, बीजेपी के नेता तो मोदी को अपना सबसे चमकदार चेहरा मानते हैं. अब उसी चेहरे को कांग्रेस दागदार बताए तो बीजेपी को ये कैसे गंवारा होगा. लिहाजा जवाब में कांग्रेस के पुरानी हारों का इतिहास बीजेपी खंगालने लगी है. वेंकैया नायडू कहते हैं कि सोनिया और राहुल ने यूपी और गुजरात में हार खाई तो क्या वो नेता नहीं हैं.
हमला परिवार पर हुआ तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी मोदी के साथ खड़ा हो गया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एमजी वैद्य ने कहा कि मोदी मशहूर हैं. बीजेपी कितनी सीट जीतती है इसका इससे कोई मतलब नहीं है.
ये तो बीजेपी को भी पता था कि कर्नाटक हाथ में आने वाला नहीं है. फिर भी हार हुई तो उसकी वजह तलाशने के लिए बीजेपी ने संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई. लेकिन मोदी नहीं आए.