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Opinion: उबर और अन्य कैब सर्विस पर बैन

अंतरराष्ट्रीय कैब सर्विस उबर पर दिल्ली में तो बैन लग ही चुका है, कई अन्य राज्यों में भी उस पर गाज गिर चुकी है. एक महिला एक्जीक्युटिव के साथ रेप की घटना के बाद कंपनी का रवैया निहायत ही शर्मनाक रहा. जैसे-जैसे जांच होती जा रही है, उसके बर्ताव और काम के तरीके पर सवाल उठने लगे हैं.

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Symbolic Image
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अंतरराष्ट्रीय कैब सर्विस उबर पर दिल्ली में तो बैन लग ही चुका है, कई अन्य राज्यों में भी उस पर गाज गिर चुकी है. एक महिला एक्जीक्युटिव के साथ रेप की घटना के बाद कंपनी का रवैया निहायत ही शर्मनाक रहा. जैसे-जैसे जांच होती जा रही है, उसके बर्ताव और काम के तरीके पर सवाल उठने लगे हैं.

अब पता चल रहा है कि कंपनी ने पहले भी आई शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की. ड्राइवर की व्यक्तिगत जांच-पड़ताल में उसने जो उदासीनता दिखाई, वह तो अक्षम्य है. एक भयानक अपराधी बगैर लाइसेंस के उसकी सर्विस का हिस्सा बना हुआ था और कंपनी सोती रही. शिकायतों के बावजूद उसने कोई कदम नहीं उठाया. उसके खिलाफ इस मामले में कार्रवाई होनी ही चाहिए.

यह एक आपराधिक उदासीनता का मामला था और इसमें कड़ी सजा मिलनी चाहिए. लेकिन सवाल सिर्फ यह नहीं है. इस घटना के बाद सरकार ने उबर ही नहीं, कई और कैब सर्विस पर तुरंत बैन लगा दिया. अब यह बड़ी बहस का मुद्दा है. क्या किसी अपराध के बाद इस तरह की तमाम सेवा पर ही प्रतिबंध लगा दिया जाना उचित है? क्या सरकार की प्रतिक्रिया कुछ ज्यादा तल्ख नहीं है? क्या ऐसा कर देने से कानून-व्यवस्था की गिरती हुई स्थिति सुधर जाएगी? इन सवालों का जवाब ढूंढना ही होगा क्योंकि ये दीर्घकालिक हैं. रेलों में कई बार ऐसी घटनाएं घटी हैं, कई बार उसमें पुलिसकर्मी भी शामिल रहे हैं. तो फिर सवाल है कि क्या रेलवे को भी बैन कर दिया जाएगा? शायद यह सवाल अतिशयोक्ति से भरा लगे, लेकिन इसमें कुछ दम तो है. यह मामला बेशक बहुत गंभीर है, लेकिन इसका इलाज इस तरह से नहीं हो सकता. पहले तो अपराधी को कड़ी सजा दिलाने की व्यवस्था होनी चाहिए और फिर उससे जुड़े अन्य पहलुओं की भी जांच होनी चाहिए. उबर जैसी कैब सेवा के खिलाफ क्या कार्रवाई हो उसकी भी तजबीज हो.

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उसके साथ कानून में छिद्र हैं उनका भी पता लगाना चाहिए और उन्हें भरना चाहिए. कानून का पालन हुआ या नहीं. यह भी बड़ा सवाल है. पुलिस व्यवस्था की कमजोरियों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए और फिर कोई दूरगामी फैसला करना चाहिए. इस शर्मनाक कांड के कारण कैब सेवा मुहैया कराने वाली कंपनियों पर रोक लगाकर कुछ नहीं मिलेगा. ज्यादा से ज्यादा यह होगा कि ये काम बंद कर देंगी जिसका नुकसान ट्रांसपोर्ट की समस्या से जूझते नागरिकों को ही उठाना पड़ेगा. अचानक नींद से जागकर कोई कदम उठाना महंगा पड़ सकता है. यहां पर एक सवाल यह भी है कि क्या निर्भया कांड के बाद हमने प्राइवेट बसों पर बैन लगा दिया क्या? सच तो है कि सख्ती और कड़ी कार्रवाई से इस तरह के अपराध करने वालों के मन में भय पैदा किया जा सकता है. कैब सर्विस चलाने वालों के लिए अपने ड्राइवरों के तमाम कागजात की जांच समय-समय पर करवाते रहना अनिवार्य होना चाहिए. उन्हें आधुनिक निगरानी उपकरणों के दायरे में रखना चाहिए. ऐसा न करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए न कि सभी कैब सेवाओं पर प्रतिबंध लगाना चाहिए.

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